India-America History: आज भारत और अमेरिका रणनीतिक साझेदार हैं, लेकिन 1991 की एक घटना ने दोनों देशों को भयंकर युद्ध की कगार तक पहुंचा दिया था. उस वक्त दुनिया कोल्ड वॉर के बाद नई वैश्विक व्यवस्था में प्रवेश कर रही थी. सोवियत संघ का बंटवारा हो चुका था और भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर संकट चरम पर था.
यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की एक बड़ी हथियार निर्माता कंपनी जनरल डायनेमिक्स ने उस साल पेंटागन के सामने एक युद्ध सिमुलेशन प्रजेंटेशन रखा था, जिसमें अमेरिका ने भारत पर पूर्ण सैन्य आक्रमण की रणनीति तैयार की थी.
परमाणु युद्ध की आशंका और अमेरिका की सक्रियता
1991 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर स्थिति इतनी गंभीर थी कि परमाणु युद्ध की आशंका जताई जा रही थी. दोनों देशों की नौसेनाएं समुद्र में तैनात हो चुकी थीं और भारत ने साफ कर दिया था कि अगर कोई विदेशी नौसेना उसके 600 समुद्री मील क्षेत्र में प्रवेश करेगी तो उस पर भीषण हमला किया जाएगा.
अमेरिका को डर था कि भारत पाकिस्तान पर अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों से हमला कर सकता है. पाक के परमाणु ठिकानों को निशाना बना सकता है. इस पर अमेरिका ने भारत को रोकने के लिए अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर ग्रुप और दो परमाणु-संचालित पनडुब्बियां हिंद महासागर में भेजीं.
भारतीय नौसेना ने अमेरिका को चेताया
अमेरिकी पनडुब्बियों और एयरक्राफ्ट कैरियर्स ने मुंबई के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में भारतीय समुद्री सीमा का उल्लंघन किया तो भारतीय नौसेना ने नकली हमले शुरू कर दिए. भारत ने स्पष्ट कहा कि यदि अमेरिका पीछे नहीं हटा तो असली हमला किया जाएगा. अमेरिका ने इसे शांतिपूर्ण ट्रांजिट का अधिकार बताया और डिएगो गार्सिया में मौजूद B-52 बमवर्षक विमानों को हाई अलर्ट पर डाल दिया.
अमेरिका ने भारत पर हमला करने की योजना बनाई थी
जनरल डायनेमिक्स की ओर से पेश किए गए सिमुलेशन में दिखाया गया कि अमेरिका ने भारत के INS चक्र पनडुब्बी बेस, वेंडुरुथी नौसेना वायु स्टेशन, अग्नि-पृथ्वी मिसाइल, गोला-बारूद गोदाम और एक बिजली प्लांट पर हमले की योजना बनाई थी. सिर्फ यही नहीं, इस योजना के तहत अमेरिकी B-52 विमानों, पनडुब्बियों और विध्वंसकों ने भारत पर 190 मिसाइलें दागीं, जिससे भारत की कमांड और नियंत्रण प्रणाली प्रभावित हुई और नौसेना पर भारी नुकसान हुआ. उस वक्त अमेरिका के पास 117 मिसाइलें रिज़र्व में भी थीं, ताकि भारत यदि जवाबी हमला करे, तो उसे रोका जा सके.
वक्त ने करवट ली है
जहां 1991 में अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था और भारत को रोकने की योजना बना रहा था, वहीं आज भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदार हैं, जो चीन को रोकने के लिए एक साथ हैं. Indo-Pacific सुरक्षा तंत्र साझा करते हैं.रक्षा, टेक्नोलॉजी और लॉजिस्टिक्स में गहराई से जुड़े हैं.