संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला. लोकसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेताओं को भारत के विदेश मंत्री की बातों पर भरोसा नहीं है, लेकिन वे किसी और देश पर भरोसा करते हैं. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘मैं समझ सकता हूं कि उनकी पार्टी में विदेश का क्या महत्व है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वह अपनी सोच को संसद में थोपें.’
अमित शाह ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि अगर विपक्ष को भारत के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है, तो यही वजह है कि वे विपक्ष में बैठे हैं और आने वाले बीस साल तक वहीं बैठे रहेंगे. उनका यह बयान उस वक्त आया जब संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर सीजफायर के बारे में जानकारी दे रहे थे.
पीएम मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई
संसद में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जानकारी दी कि 9 मई की सुबह अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत को फोन कर पाकिस्तानी हमले की आशंका जताई थी. इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका को साफ शब्दों में जवाब दिया कि भारत इस हमले का ‘मजबूत जवाब’ देगा. जयशंकर ने कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई फोन कॉल नहीं हुई. इस पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया.
अमित शाह का विपक्ष पर पलटवार
गृह मंत्री अमित शाह ने एस. जयशंकर का बचाव करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि, ‘भारत के विदेश मंत्री यहां बोल रहे हैं, लेकिन विपक्ष को उन पर भरोसा नहीं है. इनकी ज्यादा आस्था विदेशी बयानों में है, इसलिए ये अगला 20 साल भी विपक्ष में ही बैठेंगे.’
विदेश मंत्री ने बताया भारत की सख्त कार्रवाई
जयशंकर ने बताया कि पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर भारत ने निशाना साधा. सात मई की सुबह पाकिस्तान को मैसेज दिया गया और ‘पाकिस्तान को सबक सिखाया गया.’ उन्होंने कहा कि भारत अब परमाणु ब्लैकमेलिंग नहीं सहेगा.
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
एस जयशंकर ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी हमले की निंदा की, जबकि पाकिस्तान ने टीआरएफ का बचाव किया. क्वॉड देशों ने घटना की आलोचना की और अमेरिका से तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण हुआ. फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय यूनियन ने भारत के पक्ष में स्टैंड लिया. यह भारत की कूटनीतिक सफलता है.
पाकिस्तान ने मांगी सीजफायर की गुहार
विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं हुई. पाकिस्तान ने खुद सीजफायर की पहल की और भारत की ओर से कोई झुकाव नहीं दिखाया गया.
सरकार की कार्रवाई का पूरा ब्यौरा
जयशंकर ने बताया कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई, पाकिस्तान के दूतावास के सदस्यों को ‘पर्सन ऑफ नॉन ग्रेटा’ घोषित किया गया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के खतरे से अवगत कराया गया. उन्होंने कहा, ‘हमने दुनिया को बताया कि भारत को अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार है.’
दुनिया के सामने पाकिस्तान का पर्दाफाश
जयशंकर ने कहा कि जब पाकिस्तान ने भारत की ‘रेड लाइन’ पार की, तो भारत ने सख्त कदम उठाए. ऑपरेशन सिंदूर का विरोध संयुक्त राष्ट्र के 193 में से केवल तीन देशों ने किया, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है. भारत ने पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर किया.