<p style="text-align: justify;"><strong>Textbook Controversy:</strong> जम्मू और कश्मीर सरकार ने कक्षा 9 के इंग्लिश सिलेबस से लोकप्रिय मुस्लिम संत शेख नूर-उद-दीन वली का अध्याय हटाने को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद सिलेबस की समीक्षा करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला लिया है. शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण मंत्री सकीना मसूद इटू ने कहा कि इस विषय पर सरकार एक समिति बनाएगी जो सिलेबस में किए गए बदलावों की समीक्षा करेगी.</p>
<p style="text-align: justify;">सकीना मसूद इटू ने ‘द हिंदू’ से बातचीत करते हुए कहा कि "हाल के वर्षों में शेख नूर-उद-दीन वली का अध्याय हटाया गया था. स्कूल की किताबें पहले ही प्रिंट हो चुकी हैं, इसलिए इसमें तुरंत बदलाव करना मुश्किल है, लेकिन हम इस मामले में एक समिति गठित करेंगे जो इन गड़बड़ियों की समीक्षा करेगी." उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर सरकार अकादमिक विशेषज्ञों और शिक्षाविदों से परामर्श करेगी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मंत्री सकीना मसूद इटू ने क्या कहा? </strong></p>
<p style="text-align: justify;">मंत्री सकीना मसूद इटू ने आगे कहा कि यदि जरूरत महसूस हुई तो बाकी हितधारकों से भी संपर्क किया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा "यह अफसोसजनक है कि कुछ लोग उस मुद्दे को उठा रहे हैं, जिन्होंने पहले जब सिलेबस में बदलाव किए गए थे तब चुप्पी साध रखी थी."</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दिया स्पष्ट बयान</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर बयान दिया “इस चैप्टर को नहीं हटाया जाएगा. इस मामले को सरकार ने पहले ही उठाया है और सकीना इटू साहिबा ने इसका समाधान तुरंत किया है." अधिकारियों के अनुसार पिछले साल उपराज्यपाल की प्रशासन ने जम्मू और कश्मीर के स्कूलों के लिए किताबों का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए अलग- अलग राज्यों से बाहरी विशेषज्ञों को नियुक्त किया था, जबकि स्थानीय शिक्षाविदों और विशेषज्ञों से राय-विचार नहीं किया गया था. वर्तमान सरकार का उद्देश्य एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना है ताकि कश्मीर और जम्मू क्षेत्रों की स्थानीय परंपराओं, संस्कृति और व्यक्तित्व को उचित स्थान दिया जा सके.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>शेख नूर-उद-दीन वली का अध्याय हटाने पर विरोध</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जम्मू और कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस (JKPC) और CPI(M) ने शेख नूर-उद-दीन वली पर अध्याय को हटाने को लेकर चिंता व्यक्त की है. CPI(M) के नेता और विधायक एम.वाई. तारिगामी ने कहा "ये अत्यंत चिंताजनक है कि कक्षा 9 की किताब से प्रतिष्ठित सूफी संत शेख-उल-आलम का पूरा चैप्टर हटा दिया गया है. ये नीली पेंसिल से किया गया बदलाव जो विधानसभा चुनावों से पहले किया गया. ये हमारी समृद्ध सूफी परंपराओं से जुड़े समाज के लिए अस्वीकार्य है."</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कश्मीरियों के दिलों में गहरी जगह रखते हैं शेख नूर-उद-दीन वली</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जेकेपीसी के अध्यक्ष सजाद लोन ने जम्मू और कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड (BOSE) के इस कदम को "शुद्ध सांस्कृतिक आतंकवाद" और "हमारी संस्कृति और मूल्यों पर हमला" करार दिया. उन्होंने कहा "शेख नूर-उद-दीन वली कश्मीरियों के दिलों और दिमागों में गहरे रूप से बसे हुए हैं और उनका जीवन हिंसा, लालच और नफरत से भरे एक समय में आशा की एक किरण और अनुकरण करने का आदर्श है."</p>
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जम्मू-कश्मीर: मुस्लिम संत का चैप्टर सिलेबस से हटाने पर मचा बवाल, जानें अब क्या करेगी सरकार?
