<p style="text-align: justify;">जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड में जांच कमेटी की रिपोर्ट में बड़े अपडेट सामने आए हैं. जांच पैनल की रिपोर्ट में सामने आया कि जस्टिस वर्मा के घर से कैश मिलने के सबूत हैं. रिपोर्ट में 10 चश्मदीदों, वीडियो और तस्वीरों के आधार पर जले हुए नोटों की पुष्टि की गई है. हालांकि, जस्टिस वर्मा और उनके परिवार ने बचाव में बयान दिए, लेकिन उनके और उनके घर के स्टाफ के बयानों में विरोधभास नजर आया.</p>
<p style="text-align: justify;">पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवारमण ने जांच रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया गया कि जस्टिस वर्मा के नौकरों के बयान साबित करते हैं कि नोटों के ढेर वाली फोटो और तस्वीरें उन्हीं के घर की हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में कमेटी की रिपोर्ट में बड़े अपडेट</strong> <br />इसी साल मार्च में जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित 30 तुगलक क्रिसेंट आवास में नोटों का ढेर मिला था. उस वक्त वह दिल्ली हाईकोर्ट में जज थे, 14 मार्च को उनके घर पर आग बुझाने के लिए दिल्ली फायर सर्विस की टीम पहुंची थी. इस दौरान फायर सर्विस टीम और पुलिस को उनके घर के स्टोर रूम में 500 रुपये के अधजले नोटों का ढेर मिला था. फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. हालांकि, उनका ट्रांसफर पहले से तय था.</p>
<p style="text-align: justify;">बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जांच कमेटी ने रिपोर्ट में बताया कि जिस कमरे में 500 रुपये के अधजले नोट मिले थे, उस कमरे में सिर्फ जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के लोग ही जा सकते थे. अगले दिन कमरा साफ कर दिया गया और सभी नोट गायब थे. पढ़ें कमेटी की जांच रिपोर्ट के बड़े अपडेट-</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>10 चश्मदीदों ने देखा था कमरे में अधजले 500 रुपये के नोटों का ढेर</strong><br />कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली फायर सर्विस और दिल्ली पुलिस के 10 कर्मचारियों ने जस्टिस वर्मा के घर में अधजले नोटों का ढेर देखा था. जांच में वीडियो और तस्वीरें भी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य रिकॉर्ड में उपलब्ध हैं, जिन्हें चंडीगढ़ के सेंट्रल फॉरेंसिक साइंसेज लेबोरेट्री ने ऑथेंटिकेट किया है. रिपोर्ट में कहा गया कि घटनास्थल से लिए गए वीडियो का जस्टिस यशवंस वर्मा ने भी खंडन नहीं किया है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘एक वीडियो के आखिर में कोई जस्टिस यशवंत वर्मा के हाउस स्टाफ ‘राहिल’ को पुकारता हुआ सुनाई दे रहा है और वीडियो स्टोर रूम के एंट्रेंस पर खड़े होकर शूट किया गया है.'</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>वीडियो शूट करते वक्त वहीं मौजूद थे जस्टिस यशवंत वर्मा के सेक्रेटरी</strong><br />रिपोर्ट में बताया गया कि ये आवाज जस्टिस यशवंत वर्मा के प्राइवेट सेक्रेटरी राजेंद्र सिंह कार्की की थी और कार्की का भी कहना है कि ये आवाज उनकी हो सकती है. वहीं, राहिल ने माना कि कार्की ही उन्हें स्टोर रूम के सामने खड़े होकर आवाज लगा रहे थे. रिपोर्ट में बताया गया कि ये सबित करता है कि वीडियो शूट होते वक्त दोनों वहां मौजूद थे और स्टोर रूम में जली हुई नकदी बरामद होने के भी वे चश्मदीद गवाह हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि राहिल और कार्की का ये दावा करना कि अग्निशमन टीम ने उन्हें वहां से हटा दिया था, उसको स्वीकार नहीं किया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जस्टिस यशवंत वर्मा की बेटी के बयानों पर भी कमेटी ने उठाए सवाल</strong><br />जांच कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा की बेटी दीया वर्मा के बयान पर भी सवाल खड़े किए. रिपोर्ट में कहा गया कि दीया वर्मा ने वीडियो और स्टोर रूम को लेकर जो बयान दिए हैं वे उन पर सवालिया निशान खड़े करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार दीया वर्मा का कहना है कि जिस कमरे का वह वीडियो है, वह किसी और जगह का हो सकता है. मतलब ये उनके घर का स्टोर रूम नहीं है और वीडियो में सुनाई दे रही राजेंद्र सिंह कार्की की आवाज को भी पहचानने से उन्होंने इनकार कर दिया, जबकि कार्की खुद मान रहे हैं कि ये उन्हीं की आवाज है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जस्टिस यशवंत वर्मा की बेटी ने बदले बयान</strong><br />रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा की बेटी ने 7 अप्रैल, 2025 को अपने बयान में कहा था कि उनको 15 मार्च को घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबर तब मिली, जब दिल्ली हाईकोर्ट के पीपीएस जस्टिस वर्मा के बंगले पर गए थे. हालांकि, बाद में उन्होंने 12 अप्रैल को कमेटी को इमेल भेजकर बयान बदलने की भी कोशिश की और कहा कि उस वक्त वह इस घटना से घबरा गई थीं इसलिए उन्होंने ये बयान दिया, लेकिन कमेटी ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया.</p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा की बेटी एक कॉन्फिडेंट यंग लेडी हैं और उन्होंने पूरी पढ़ाई बाहर होस्टल में रहकर की है. वह एक कामकाजी महिला हैं इसलिए इस बात पर विश्वास करना मुश्किल है कि वह घबरा गई थीं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सीसीटीवी फुटेज के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?</strong><br />जस्टिस यशवंत वर्मा ने स्टोर रूम के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे को लेकर जो बयान दिया, उसको लेकर भी कमेटी ने सवालिया निशान खड़े किए हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि 10 दिन बाद कैमरे को सील किया गया तो इन दस दिनों में जस्टिस वर्मा फुटेज के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार पहले जस्टिस वर्मा ने कहा कि स्टोर रूम के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगा है, जिसकी निगरानी सुरक्षाकर्मी करते हैं तो यह कैसे मुमकिन है कि वह स्टोर रूम में बड़ी मात्रा में कैश रख सकते हैं. हालांकि, कैमरे की हार्ड डिस्क उपलब्ध नहीं थी, जिस पर उनका कहना है कि अगर कैमरा काम नहीं कर रहा तो ये उनकी गलती नहीं है. </p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में बताया गया कि रिकॉर्ड में यह जानकारी भी नहीं है कि सीसीटीवी का डेटा कैसे खो गया, जबकि उसको सील कर दिया गया था. कमेटी ने कहा कि घटना 14 मार्च की है और सीसीटीवी को सील करने का आदेश 25 मार्च को दिया गया, जिसकी वजह से यशवंत वर्मा के पास खुला विकल्प था कि वह फुटेज के साथ कुछ भी कर सकते थे. </p>
<p style="text-align: justify;">जस्टिस यशवंत वर्मा का यह भी कहना है कि कमरे में किसी और ने नोटों से भरे बैग रखे, जबकि कमरे तक सिर्फ जस्टिस और उनके परिवार की ही पहुंच थी. कमेटी ने निष्कर्ष निकाला कि दस दिन तक सीसीटीवी उनके कंट्रोल में था तो वह फुटेज के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और वह बचाव में दिखा सकते हैं कि कमरा खुला हुआ था और जब आग लगने की घटना हुई तब वह घर पर नहीं थे इसलिए कैश की जिम्मेदारी भी उनकी नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में बताया गया कि जस्टिस वर्मा के सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि सिर्फ जज और उनके परिवार के लोग ही उस कमरे में जा सकते थे इसलिए ये नामुमकिन है कि कोई और जाकर वहां नोटों का बैग रख दे, जबकि 24 घंटे सुरक्षाकर्मी कमरे की निगरानी करते हैं, गेट पर सिक्योरिटी है और घर के अंदर छह नौकर हैं, जो जस्टिस वर्मा के यहां सालों से काम कर रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>स्टोर रूम में सिर्फ जस्टिस वर्मा और परिवार ही जा सकता है, रिपोर्ट में बताया</strong><br />स्टाफ ने बताया कि घटना के वक्त स्टोर रूम का दरवाजा बंद पड़ा था और आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड टीम को ताला तोड़ना पड़ा. रिपोर्ट में कहा गया कि घर में अधजले नोटों के ढेर का वीडियो सामने आने के बाद न तो जस्टिस वर्मा और न ही उनके स्टाफ ने कोई आपत्ति जताई, बल्कि जस्टिस वर्मा ने चुपचाप इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर स्वीकार कर लिया. </p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा के उनके खिलाफ साजिश रचने के दावों पर भी सवाल उठाए गए हैं. घटना के बाद जज ने लिखित जवाब में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन्हें बदनाम करने के मकसद से सोशल मीडिया पोस्ट किया जा चुका है. कमेटी का कहना है कि जस्टिस वर्मा ने किसी शख्स का नाम नहीं लिया है, जो उनके खिलाफ ऐसा कर सकते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">कमेटी ने कहा कि अगर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कोई साजिश रची जा रही थी तो उन्होंने पुलिस से शिकायत क्यों नहीं की और न ही उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश या देश के मुख्य न्यायाधीश के सामने यह मामला रखा. कमेटी ने कहा कि जब यह स्थापित हो गया कि नकदी उन्हीं के घर मिली है तो जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी को लेकर को लेकर कोई भी स्पष्टीकरण देने में असफल रहे, सिवाय इसके कि ये उनके खिलाफ रची गई साजिश है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि अगले दिन जस्टिस यशवंत वर्मा के दो नौकरों ने स्टोर रूम से जली हुई नकदी हटाकर कमरा साफ कर दिया. </p>
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जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बरामद नोटों के ढेर पर जांच कमेटी की रिपोर्ट में बड़े खुलासे
