Justice Shekhar Yadav: पिछले साल मुसलमानों पर दिए गए अपने बयान पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव एक बार फिर घिरते हुए नजर आ रहे हैं. शुक्रवार (17 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट के 13 वरिष्ठ वकीलों ने उनके खिलाफ चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र लिखा है. इस पत्र में CJI से अनुरोध किया गया है कि वह CBI को जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दें.
दरअसल, 8 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पुस्तकालय में विश्व हिंदू परिषद के लीगल सेल की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने मुसलमानों के खिलाफ कई बयान दिए थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश अरूण भंसाली ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा था. इसके जवाब में जस्टिस शेखर यादव ने कहा था कि उनके बयान से न्यायिक व्यवस्था के किसी भी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं हुआ है और वह अपने बयान पर कायम है.
शेखर यादव का यह स्पष्टीकरण हाल ही में सामने आया है, इसके बाद शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 13 वकीलों ने उनके खिलाफ CJI को पत्र लिखकर स्वतः संज्ञान लेने और कार्रवाई के निर्देश देने का अनुरोध किया है.
वकीलों के पत्र में क्या लिखा है?
यह व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया है कि 8 दिसंबर, 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुस्तकालय परिसर में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कानूनी प्रकोष्ठ द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया और इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश, जस्टिस शेखर यादव ने अपना संबोधन भी दिया. उनके भाषण में ऐसी टिप्पणियां शामिल हैं जो असंवैधानिक और एक न्यायाधीश द्वारा ली गई पद की शपथ के विपरीत हैं.
अपने पूरे संबोधन में, ‘हमारी गीता’ और ‘आपकी कुरान’ का जिक्र किया. इसमें न्यायाधीश खुले तौर पर खुद को एक धार्मिक समुदाय के साथ जोड़ते हैं जबकि दूसरे को बेहद अपमानित करते नजर आते हैं. मुसलमानों को संदर्भित करने के लिए उनके द्वारा ‘कठमुल्ला’ शब्द का उपयोग बहुत अपमानजनक और परेशान करने वाला है.
क्या बोले थे जस्टिस शेखर यादव?
8 दिसंबर के उस कार्यक्रम में शेखर यादव ने UCC बिल के पक्ष में बोलते हुए मुस्लिमों को टारगेट किया था. धीरे-धीरे उनके लफ्ज बिगड़ते गए और उन्होंने मुस्लिमों को ‘कठमुल्ला’ तक कह डाला था. जस्टिस शेखर ने कहा था, ‘हिंदुस्तान में रहने वाले बहुंसख्यकों के अनुसार ही देश चलेगा. कानून तो भैया बहुसंख्यक से ही चलता है. यह जो कठमुल्ला है, यह सही शब्द नहीं है. लेकिन कहने में परहेज भी नहीं है, क्योंकि वह देश के लिए बुरा है. घातक है, देश के खिलाफ है. जनता को भड़काने वाले लोग हैं.’
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