Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह इस महीने के आखिर तक फार्मास्यूटिकल्स पर टैरिफ लगा सकते हैं. साथ ही सेमीकंडक्टर पर भी जल्द ही टैरिफ का ऐलान किया जाएगा. ये नए रेट्स 1 अगस्त से लागू होने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ के साथ लगाए जाएंगे.
कंपनियों को दिया जाएगा एक साल का वक्त
पिट्सबर्ग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद वॉशिंगटन लौटते वक्त ट्रंप ने संवादाताओं से कहा, शायद इस महीने के आखिर तक हम कम टैरिफ से शुरुआत कर सकते हैं. दवा कंपनियों को अमेरिका में अपनी फैक्ट्री बनाने के लिए एक साल या उससे ज्यादा समय देंगे. इसके बाद टैरिफ को बढ़ा दिया जाएगा. ट्रंप ने सेमीकंडक्टर यानी कि कम्प्यूटर चिप्स पर टैरिफ लगाने के अपना प्लान का भी खुलासा किया. इस बारे में उन्होंने ज्यादा जानकारी तो नहीं दी. बस इतना कहा कि चिप्स पर टैरिफ लगाना दवाओं पर टैरिफ लगाने के मुकाबले आसान है.
अमेरिका में आयात होने वाली दवाएं होंगी महंगी
इस महीने की शुरुआत में एक कैबिनेट बैठक में ट्रंप ने कहा था कि वह आने वाले हफ्तों में तांबे पर 50 परसेंट टैरिफ लगाने का प्लान बना रहे हैं. वह दवा कंपनियों को अपनी फैक्ट्री वापस अमेरिका में लाने के लिए एक साल का वक्त देंगे और इसके बाद टैरिफ बढ़ा देंगे. ट्रंप पहले ही 1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 के तहत दवाओं की जांच का ऐलान कर चुके हैं.
उनका तर्क है कि विदेशों से बड़े पैमाने पर आयात राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. ट्रंप के टैरिफ का असर एली लिली एंड कंपनी, मर्क एंड कंपनी और फाइजर इंक जैसी दवा कंपनियों पर पड़ेगी, जो दूसरे देशों में अपनी दवाएं बनाती है. इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए दवाओं पर खर्च भी बढ़ जाएगा. ऐसा करने के पीछे ट्रंप का मकसद अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना और अपने देश में उत्पादन को बढ़ाना है.
दवा कंपनियों पर असर
भारतीय फार्मा कंपनियों के टोटल रेवेन्यू का 30-40 परसेंट अमेरिका से जेनरेट होता है. 2024 में भारत ने अमेरिका को 12.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर के फार्मास्यूटिकल्स प्रोडक्ट्स भेजे. जबकि, अमेरिका से 800 मिलियन डॉलर के फार्मा प्रोडक्ट्स भारत में भेजे जाते हैं. ऐसे में अगर ट्रंप दवाओं पर हेवी टैरिफ लगाता है, तो बड़ी कंपनियां कीमतें बढ़ाकर जैसे-तैसे अपने नुकसान का भरपाई कर लेंगी, लेकिन छोटी कंपनियों के लिए मार्केट में टिके रहना मुश्किल होगा.
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