ट्रंप की टैरिफ धमकी से कांग्रेस में बवाल! भिड़ गए दो दिग्गज कांग्रेसी नेता

ट्रंप की टैरिफ धमकी से कांग्रेस में बवाल! भिड़ गए दो दिग्गज कांग्रेसी नेता


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी है. इसकी वजह से भारत-अमेरिका संबंधों को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है. यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत मानी जा रही थी. इस घटनाक्रम ने न केवल सरकार को सतर्क किया, बल्कि भारतीय राजनीति में भी हलचल मचा दी. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्रंप-मोदी की दोस्ती का मजाक उड़ाते हुए कहा कि अमेरिका की असली नीति अब स्पष्ट हो गई है.

मनीष तिवारी का अलग रुख
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर एक चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने ट्रंप की धमकी को भारत की दशकों पुरानी रणनीतिक असाधारणता की एक अनूठी मान्यता बताया. मनीष तिवारी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने शायद 1947 से चली आ रही भारतीय रणनीतिक असाधारणता और रणनीतिक स्वायत्तता को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने भारत की विदेश नीति की निरंतरता को रेखांकित करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू की गुटनिरपेक्ष नीति से लेकर नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत तक भारत हमेशा अपने हितों को प्राथमिकता देता आया है. उनके अनुसार, यह लचीलापन ही भारत को वैश्विक मामलों में एक विशिष्ट स्वरूप प्रदान करता है.

कांग्रेस के भीतर मतभेद
इस मुद्दे ने कांग्रेस के भीतर वैचारिक मतभेद को भी उजागर किया. जयराम रमेश ने मोदी की ट्रंप से निकटता और हाउडी मोदी” जैसे कार्यक्रमों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि ट्रंप की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर पर किए गए सार्वजनिक दावों और पाकिस्तान के समर्थन के बावजूद मोदी सरकार चुप रही.

रमेश ने कहा कि ट्रंप की तरफ से पाकिस्तान के साथ सैन्य और आर्थिक मेलजोल के बावजूद मोदी सरकार राजनयिक पुरस्कारों की आशा में चुप्पी साधे रही. वहीं दूसरी ओर, मनीष तिवारी ने यह स्पष्ट किया कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता किसी एक सरकार का परिणाम नहीं है, बल्कि यह दशकों की नीति और राष्ट्रीय हितों पर आधारित विकासशील सोच का नतीजा है.

अमेरिका की नीति और भारत की प्रतिक्रिया
ट्रंप की टैरिफ धमकी को भले ही व्यापारिक रणनीति के रूप में देखा जाए, लेकिन इसका संदेश कहीं अधिक व्यापक है. भारत, जो लगातार अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को गहरा कर रहा है, अब यह समझने की स्थिति में है कि एकतरफा निर्भरता का क्या जोखिम होता है. मनीष तिवारी ने यह चेतावनी भी दी कि इस घटना का भारत-अमेरिका संबंधों पर व्यापक प्रभाव हो सकता है.

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