अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दुनिया के कई देशों पर नए टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है. इन देशों में अब तक पाकिस्तान का नाम तो शामिल नहीं था, लेकिन फिर भी शहबाज शरीफ को इस बात की टेंशन है कि कहीं ट्रंप पाकिस्तान पर भी लंबे-चौड़े टैरिफ का ऐलान न कर दें. इसको लेकर पाकिस्तान के वित्त मंत्री औरंगजेब अमेरिका के दौरे पर पहुंचे हुए हैं.
औरंगजेब ने अमेरिकी अधिकारियों लुटनिक और ग्रीयर के साथ टैरिफ को लेकर बातचीत की. इस दौरान दोनों देशों के बीच टैरिफ मुद्दे के साथ-साथ व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने पर भी विचार किया. मामले पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि बातचीत प्रोडक्टिव रही और दोनों पक्षों ने इसे सकारात्मक करार दिया. दोनों देशों ने आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने के अवसरों पर चर्चा की. यह वार्ता पाकिस्तान के एक्सपोर्ट सेक्टर, खासकर टेक्सटाइल और कृषि क्षेत्र के लिए अहम मानी जा रही है.
अमेरिका ने नहीं किया कोई आधिकारिक ऐलान
भले ही पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बातचीत हुई है, लेकिन अभी तक अमेरिका की तरफ से कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका फिलहाल अपने अन्य व्यापारिक सहयोगियों के साथ बातचीत पूरी करने के बाद ही पाकिस्तान के लिए कोई नीति घोषित करेगा. यह रुख बताता है कि अमेरिका व्यापक टैरिफ रणनीति के तहत सभी साझेदारों से अलग-अलग वार्ता कर रहा है, ताकि एक संयुक्त और सख्त नीति सामने लाई जा सके.
अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों में नया मोड़
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. लेकिन पिछले महीने व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष असीम मुनरो की मुलाकात के बाद से रिश्तों में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं. इस मुलाकात के बाद ही पाकिस्तान और अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ता की शुरुआत हुई, जिसे अब व्यापक टैरिफ चर्चा में तब्दील किया जा रहा है.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर टैरिफ का प्रभाव
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए टैरिफ बड़ा जोखिम साबित हो सकता है. एक्सपोर्ट पर निर्भर अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लग सकता है. अमेरिकी बाजार में पाकिस्तान की टेक्सटाइल, कृषि और औद्योगिक उत्पादों की पहुंच पर असर पड़ सकता है. टैरिफ बढ़ने से निर्यात महंगा और प्रतिस्पर्धा में कमजोर हो सकता है. हालांकि, अगर समझौता सफल होता है तो पाकिस्तान को शुल्क रियायत मिल सकती है. इससे पाकिस्तान को आर्थिक स्थिरता और अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों में मजबूती मिल सकती है.
ये भी पढ़ें: ईरान से तनाव के बीच अमेरिका ने इस बड़े मुस्लिम देश के साथ की न्यूक्लियर डील, क्या ट्रंप ने खामेनेई को दिया संदेश?