Textile Company Shares Today: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से अमेरिका में आयात होने वाले भारतीय सामानों में 25 परसेंट टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है. इसके अलावा, उन्होंने रूस के साथ ऊर्जा व्यापार और रक्षा सहयोग को जारी रखने के लिए भारत पर जुर्माना लगाने का भी संकेत दिया है.
इन कंपनियों के शेयरों में आई गिरावट
ट्रंप के इस ऐलान के बाद गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में कारोबार होने के दौरान BSE पर देश की टेक्सटाइल कंपनियों के शेयरों में 9 परसेंट तक की गिरावट देखी गई. गोकलदास एक्सपोर्ट्स, फेज थ्री, पर्ल ग्लोबल इंडस्ट्रीज, वेलस्पन लिविंग, केपीआर मिल, अरविंद, वर्धमान टेक्सटाइल्स, इंडो काउंट इंडस्ट्रीज, काइटेक्स गारमेंट्स और संगम इंडिया के शेयरों में कारोबार के दौरान बीएसई पर 3 परसेंट से 8 परसेंट तक की गिरावट दर्ज की गई. इसी के साथ बीएसई सेंसेक्स सुबह 9:28 बजे 0.59 परसेंट की गिरावट के साथ 81,003.33 पर था.
अब इन देशों से होगा भारत का मुकाबला
अमेरिका अपैरल एक्सपोर्ट के मामले में भारत का सबसे बड़ा बाजार है. जनवरी-मई 2025 के दौरान भारत ने इस कैटेगरी में अमेरिका में 4.59 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया. यह पिछले साल हुए 4.05 अरब डॉलर के कारोबार के मुकाबले 13 परसेंट की बढ़त को दर्शाता है. अमेरिका में अपैरल या गारमेंट्स एक्सपोर्ट के मामले में भारत का सीधा मुकाबला बांग्लादेश, चीन और वियतनाम जैसे देशों से है.
ऐसे में भारत पर लगाया गया 25 परसेंट का टैरिफ बांग्लादेश पर लगाए गए 35 परसेंट के टैरिफ से कम है. अमेरिका ने वियतनाम पर 20 परसेंट टैरिफ लगाया है. इसके अलावा, वियतनाम से सामान के ट्रांसशिपमेंट पर 40 परसेंट का टैरिफ लगाया है, जो चीन द्वारा वियतनाम के रास्ते किए जाने वाले व्यापार के कारण है. वहीं, चीन पर फिलहाल 55 परसेंट का टैरिफ लागू है. ट्रेड डील को लेकर चीन की अमेरिका से बातचीत जारी है, जिसकी समयसीमा 12 अगस्त तक बढ़ाई जा सकती है.
कंपनियों की प्रॉफिट में आएगी गिरावट
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, ICICI सिक्योरिटीज का मानना है कि अमेरिका के भार पर 25 परसेंट की दर से टैरिफ लगाने के चलते कारोबार में गिरावट आएगी. टैरिफ से सप्लायर्स के मुनाफे पर असर पड़ेगा, जिससे गारमेंट कंपनियों की भी प्रॉफिट में कमी आएगी. इससे टेक्सटाइल कंपनियों के शेयरों पर भी असर पड़ सकता है. इस बीच, टेक्सटसइल कंपनियां ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, मिडिल ईस्ट जैसे देशों में अपनी पहुंच बढ़ाने पर ज्यादा फोकस कर रही हैं.
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