ट्रंप ने दी परमाणु डील को लेकर धमकी तो ईरान ने उठा लिया बड़ा कदम, जानिए क्या किया

ट्रंप ने दी परमाणु डील को लेकर धमकी तो ईरान ने उठा लिया बड़ा कदम, जानिए क्या किया


Iran on US Attack Threat : ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) से अपने देश की ‘शांतिपूर्ण परमाणु फैसिलिटी’ पर मंडरा रहे खतरे को लेकर रुख स्पष्ट करने को कहा.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने यह बयान मंगलवार (1 मार्च) को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी से फोन पर बातचीत के दौरान दिया. उन्होंने यह टिप्पणी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रविवार (30 मार्च) को दी गई उस धमकी के संदर्भ में की, जिसमें ट्रंप ने कहा था कि अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर वाशिंगटन के साथ समझौता नहीं करता, तो वह ईरान के परमाणु स्थलों पर बमबारी कर देंगे.

ईरानी विदेश मंत्री ने IAEA चीफ से की बातचीत

अराघची ने एजेंसी के साथ ईरान की बातचीत और सहयोग की नीति के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि जब तक ईरान के खिलाफ खतरे बने रहते हैं, उनका देश अपने परमाणु कार्यक्रम की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा. उन्होंने ग्रॉसी को ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम और कूटनीतिक चर्चा से जुड़ी ताजा घटनाओं के बारे में भी जानकारी दी।

IAEA प्रमुख ने कहा कि वह मौजूदा समस्याओं को हल करने के लिए एक अच्छे माहौल को बनाने के लिए दूसरे पक्षों से चर्चा करेंगे. इस दौरान ग्रॉसी ने ईरान यात्रा करने की इच्छा भी जताई, जिस पर ईरानी विदेश मंत्री ने सहमति जताई.

डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर सैन्य हमले की दी थी धमकी

ट्रंप ने रविवार को NBC न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करने से इनकार करता है, तो वह उस पर ‘जबरदस्त सैन्य हमले’ करेंगे. उन्होंने कहा, “अगर वे समझौता नहीं करते, तो ऐसी बमबारी होगी जिसे उन्होंने कभी नहीं देखा होगा.” ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अमेरिकी और ईरानी अधिकारी “बातचीत” कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई और जानकारी नहीं दी.

डोनाल्ड ट्रंप की यह टिप्पणी उस पत्र के बाद आई है, जिसके बारे में ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने मार्च के शुरू में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के जरिए ईरानी नेताओं को एक पत्र भेजा था, जिसमें तेहरान की परमाणु गतिविधियों पर सीधे बातचीत का प्रस्ताव दिया गया था. इसके जवाब में तेहरान ने सीधे बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, लेकिन अप्रत्यक्ष बातचीत की संभावना को खुला रखा.



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