पाकिस्तान ने ट्रंप के प्रशासन द्वारा लगाए गए 29% टैरिफ को एक चुनौती के बजाय एक अवसर के रूप में देखने की योजना बनाई है. हाल ही में वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने अपने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान अमेरिकी व्यापार नीति में हो रहे बदलाव को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल करेगा.
अमेरिका ने पाकिस्तान से आयातित सामान पर 29% टैरिफ बढ़ाने का फैसला लिया है, जिससे पाकिस्तान के निर्यातकों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. हालांकि वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे कठिन समय में भी पाकिस्तान इस चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश करेगा. उनका कहना था, ‘आपको कभी भी अच्छे संकट का फायदा उठाने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए. हम इसे एक चुनौती और अवसर दोनों के रूप में देख रहे हैं.”
वाशिंगटन भेजा जाएगा उच्च-स्तरीय डेलिगेशन
इस चुनौती का समाधान निकालने के लिए पाकिस्तान एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल (डेलीगेशन) को वाशिंगटन भेजने की योजना बना रहा है. वित्त मंत्री औरंगजेब ने बताया कि प्रधानमंत्री से मंजूरी मिलने के बाद, यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका में पाकिस्तान का पक्ष रखने और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की कोशिश करेगा.
आर्थिक सुधारों पर ध्यान
वित्त मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान सरकार विभिन्न आंतरिक सुधारों पर भी काम कर रही है. उन्होंने कर-राजस्व वृद्धि की सराहना की और बताया कि अगले महीने तक पाकिस्तान का कर-राजस्व 10.6 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है. इसके अलावा, उन्होंने मुद्रास्फीति के गिरने और ब्याज दरों में संभावित कमी की भी बात की, जिससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और कर्ज प्रबंधन
वित्त मंत्री ने ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों की भी बात की, जहां उन्होंने उद्योगों के लिए बिजली दरों में एक-तिहाई की कमी की घोषणा की. इसके अलावा, कर्ज प्रबंधन के मामले में भी सरकार ने कर्ज की अवधि बढ़ा दी है, जिससे सरकार को कर्ज पर ब्याज का बोझ कम करने में मदद मिलेगी.
क्या वाकई इस टैरिफ का फायदा मिल पाएगा
पड़ोसी देश वित्त मंत्री औरंगजेब भले ही ट्रंप के टैरिफ में फायदे ढूंढने की बात कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान सरकार इस ट्रेड वॉर से चिंतित है और ये साफ नजर आ रहा है. डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मामले पर तुरंत कार्रवाई करते हुए दो कमेटियां बनाई हैं. एक कमेटी वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब के नेतृत्व में बनी है. इसमें अर्थशास्त्री और उद्योग जगत के लोग शामिल शामिल किए गए हैं.