अमेरिका की प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी ट्रंप प्रशासन के साथ एक बड़ा समझौता करने जा रही है. यूनिवर्सिटी पर यह आरोप है कि उसने यहूदी छात्रों को कैंपस में हो रहे उत्पीड़न से पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी. अब इस विवाद को सुलझाने के लिए वह 200 मिलियन डॉलर का मुआवजा देने की तैयारी की जा रही है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अधिकारी अगले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिल सकते हैं ताकि इस समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके. ट्रंप प्रशासन ने पहले 400 मिलियन डॉलर की फेडरल रिसर्च फंडिंग रोक दी थी. अब यह समझौता उसी फंडिंग को आंशिक रूप से बहाल कराने के लिए किया जा रहा है.
इस समझौते में क्या शामिल है?
इस समझौते के तहत नागरिक अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों को निपटाने के लिए यूनिवर्सिटी मुआवजा देगी. यूनिवर्सिटी को अपनी एडमिशन प्रक्रिया और विदेशी फंडिंग को लेकर ज्यादा पारदर्शिता लानी होगी. हालांकि, यह डील ‘कंसेंट डिक्री’ का हिस्सा नहीं होगी, यानी सरकार को यूनिवर्सिटी के संचालन पर दीर्घकालिक नियंत्रण नहीं मिलेगा.
व्हाइट हाउस से चल रही निगरानी
इस समझौते पर बातचीत व्हाइट हाउस से सीधे निगरानी में हो रही है, जिसकी अगुवाई ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार स्टीफन मिलर कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने पिछले रविवार को इस डील के शर्तों पर चर्चा की.
क्या बोलीं यूनिवर्सिटी की प्रवक्ता?
यूनिवर्सिटी की प्रवक्ता वर्जीनिया लैम एब्राम्स ने कहा, “यूनिवर्सिटी, संघीय सरकार के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है. अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.”
ट्रंप प्रशासन से बनी दूरी कम करने की कोशिश
इसी साल मार्च में ट्रंप प्रशासन द्वारा 400 मिलियन डॉलर की फेडरल रिसर्च फंडिंग रोक देने के बाद से कोलंबिया यूनिवर्सिटी लगातार ट्रंप प्रशासन की चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर रही है. इसके तहत यूनिवर्सिटी ने कई सख्त कदम उठाए. जैसे- कैंपस पुलिस को प्रदर्शनकारी छात्रों को गिरफ्तार करने के अधिकार दिए. विरोध प्रदर्शन में मास्क पहनने पर रोक लगाई और मीडिल ईस्ट अध्ययन विभाग पर भी नियंत्रण बढ़ाया गया.
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