India-Canada Relations: सिख्स फॉर अमेरिका के फाउंडर जसदीप सिंह ने खालिस्तान आंदोलन और भारत-कनाडा के बीच बढ़ते तनाव पर खुलकर अपनी राय व्यक्त की. उनका बयान तब आया जब कनाडा में सत्ता परिवर्तन के साथ नई संभावनाओं के दरवाजे खुले हैं.
जसदीप सिंह का मानना है कि जस्टिन ट्रूडो का कार्यकाल खालिस्तानी प्रभाव के लिए उपजाऊ जमीन साबित हुआ, लेकिन अब प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में स्थितियां बदलने वाली हैं. उन्होंने ट्रूडो को कमजोर प्रधानमंत्री बताया, जिनकी नीतियां भारत विरोधी एजेंडे से प्रेरित थीं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि खालिस्तानी प्रभाव अब नहीं रहेगा. खालिस्तानी आबादी का प्रतिशत बहुत ही छोटा है और अधिकांश सिख भारत और पंजाब से प्यार करते हैं.
खालिस्तानी आंदोलन पर हमला
उन्होंने खालिस्तान समर्थकों को सिख नहीं कहा क्योंकि उनके अनुसार ये लोग सिख धर्म के सिद्धांतों पर काम नहीं करते. यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण है क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि खालिस्तानी आंदोलन को सिख समुदाय का समर्थन नहीं है जैसा कि कई बार प्रचारित किया जाता है. उन्होंने अमेरिका और कनाडा में मानव तस्करी, झूठे राजनीतिक शरण के वादे, और युवाओं का दुरुपयोग जैसे मामलों पर विशेष ध्यान दिलाया. जेसी ने कहा कि डंकी रूट से आ रहे युवाओं को पन्नू जैसे तथाकथित खालिस्तानी नेता झूठे वादे देकर इस्तेमाल कर रहे हैं.
पीएम मोदी का कनाडा दौरा
जेसी ने कनाडा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किए जाने का स्वागत किया और इसे भारत-कनाडा संबंधों के लिए एक नई शुरुआत करार दिया. यह सही फैसला है. भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. उसे नजरअंदाज करना गलती थी.यह बयान दो देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में एक नए युग की ओर संकेत करता है. ट्रूडो सरकार के दौरान जिस तरह के तनावपूर्ण संबंध बने थे, अब उन्हें पीछे छोड़ने का समय आ गया है.
G7 सम्मेलन में भागीदारी
पीएम मोदी 16-17 जून को कनाडा की आधिकारिक यात्रा पर होंगे.यह दौरा भारत-कनाडा के संबंधों के पुनर्निर्माण का मंच बनेगा. सिख डायस्पोरा का सहयोग इस नये अध्याय को मजबूती देगा. जेसी ने दावा किया कि अमेरिका में खालिस्तानी आंदोलन के तहत अवैध गतिविधियों का नेटवर्क फैला हुआ है, जो अब बंद हो रहा है. जेसी का मानना है कि नए अमेरिकी और कनाडाई नेतृत्व के तहत इन कट्टरपंथी तत्वों को मिलने वाला समर्थन समाप्त हो जाएगा. इससे नॉर्थ अमेरिका में अप्रवासी नीति पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा.
भारत से बाहर रहने वाले भारतीयों के लिए एकजुटता का संदेश
लेख के अंतिम भाग में जेसी ने विदेशों में बसे भारतीयों को एकजुट रहने की सलाह दी. उन्होंने धार्मिक एकता और भारत के प्रति प्रेम को भारतीय प्रवासियों की पहचान बताया. हिंदू हमारे भाई हैं, हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. हमें एकजुट रहना चाहिए, न कि इन विभाजनकारी चालों का शिकार बनना चाहिए.