President at NFSU convocation: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार (28 फरवरी, 2025) को कहा कि अपराधियों में पकड़े जाने और सजा का डर और आम जनता में न्याय मिलने का भरोसा ही सुशासन की पहचान है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्याय प्रणाली को सशक्त तभी माना जाएगा, जब वह समावेशी होगी.
राष्ट्रपति ने कहा कि 2024 में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून—भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम भारतीय न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक परिवर्तन हैं. इन कानूनों ने ब्रिटिश कालीन दंड संहिताओं को हटाकर अपराध जांच और एविडेंस को इकट्ठा करने में और ज्यादा मॉडर्न और प्रभावी बनाया है. सात वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक विशेषज्ञों की जांच अनिवार्य कर दी गई है.
एनएफएसयू दीक्षांत समारोह में संबोधन
राष्ट्रपति राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के तीसरे दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं. इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर और वंचित वर्गों तक न्याय पहुंचाना सभी न्यायिक अधिकारियों और फोरेंसिक विशेषज्ञों की जिम्मेदारी है.
फोरेंसिक साइंस की बढ़ती जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा कि नए कानूनों के तहत अपराध जांच में फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका बढ़ गई है, जिससे इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की मांग भी बढ़ेगी. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि डिजिटल तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास से अपराधियों के तौर-तरीकों में बदलाव आ रहा है, जिससे पुलिस और अभियोजन को अधिक सतर्क और कुशल होना पड़ेगा. उन्होंने भरोसा जताया कि एनएफएसयू से निकले छात्र एक सशक्त फोरेंसिक प्रणाली के निर्माण में योगदान देंगे, जिससे कन्विक्शन रेट बढ़ेगी और अपराधी अपराध करने से डरेंगे.
समारोह में 1560 छात्रों को मिली डिग्री
एनएफएसयू के कुलपति जे.एम. व्यास की अध्यक्षता में हुए इस समारोह में 1560 से अधिक विद्यार्थियों को डिग्री दी गई. राष्ट्रपति ने छात्रों से अपील की कि वे इस तरह कार्य करें कि न्याय देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और कोई भी व्यक्ति वित्तीय कारणों से न्याय से वंचित न रह सके.