तुर्की के खलीफा ने कश्मीर को लेकर बोली पाकिस्तान की भाषा, भारत ने दिया जवाब तो हो गई बोलती बंद

तुर्की के खलीफा ने कश्मीर को लेकर बोली पाकिस्तान की भाषा, भारत ने दिया जवाब तो हो गई बोलती बंद


India on Turkey Khalifa’s Statement : भारत ने कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के समर्थन में तुर्की के खलीफा राष्ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोगन के दिए बयान पर ऐतराज जताया है. भारत ने तुर्की से कहा कि खलीफा एर्दोगन कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं, जो सही नहीं है. भारत ने यह भी साफ कर दिया कि कश्मीर का मुद्दा पूरी तरह से द्विपक्षीय है और इसका अंतरराष्ट्रीयकरण करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.

भारत ने तुर्की के खलीफा एर्दोगन के खिलाफ ऐसे समय पर कड़ा रूख अपनाया है, जब पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए तुर्की का समर्थन हासिल करने की कोशिश में लगा है.

तुर्की के खलीफा ने किया था पाकिस्तान का दौरा

उल्लेखनीय है कि हाल ही में तुर्की के खलीफा राष्ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोगन ने पाकिस्तान का दौरा किया था, जिनके स्वागत में पाकिस्तान की पूरी शहबाज सरकार नतमस्तक हो गई थी. इस्लामाबाद में पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ से वार्ता के बाद खलीफा ने अपने बयान में कहा था, “कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के हिसाब से और कश्मीर के लोगों को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए.” उन्होंने आगे कहा, “हमारा देश अतीत की तरह आज भी कश्मीरी भाइयों के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है.” इस बयान के बाद भारत ने ऐतराज जताते हुए कहा तुर्की को पाकिस्तान की भाषा नहीं बोलनी चाहिए.

भारत ने तुर्की से जताई नाराजगी

भारत हमेशा से इस बात पर जोर देता आ रहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख (वर्तमान में केंद्रशासित प्रदेश) भारत का अभिन्न भाग है, जिसे लेकर पाकिस्तान हमेशा दावे करता रहता है. लेकिन भारत इसे द्विपक्षीय मुद्दा मानता है और कश्मीर को लेकर किसी भी तीसरे देश की टिप्पणी को अस्वीकार करता है. बता दें कि भारत ने पहले भी कई बार कश्मीर पर दिए बयानों को लेकर तुर्की और एर्दोगन से ऐतराज जताया है. वहीं, भारत ने एक बार फिर से इस मुद्दे पर अपनी बात को दोहराया है और अपनी नाराजगी को तुर्की के सामने रखा है.

डेढ़ साल के बाद एर्दोगन ने लिया यू-टर्न

एक्सपर्ट् का कहना है कि डेढ़ साल के बाद तुर्की के खलीफा का ये बयान एक तरह का यू-टर्न है, वह अक्सर अपने बयानों से पलट जाते हैं. तुर्की ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते स्थापित करने और BRICS में शामिल होने की मंशा को लेकर पहले कश्मीर को लेकर चुप्पी साध रखी थी. वहीं, अब ब्रिक्स की जरूरत न होने पर एर्दोगन के व्यवहार में बदलाव आ गया है.

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