GST on Bidis and Cigarettes: जीएसटी काउंसिल ने 3-4 सितंबर को हुई बैठक में जीएसटी दरों में बड़े बदलावों को मंजूरी दे दी है. इसके तहत सिगरेट और गुटखा जैसे तंबाकू से बनाए जाने वाले उत्पादों की कीमतें बढ़ने वाली हैं. हालांकि, बीड़ी की कीमतों में कुछ गिरावट आएगी.
बीड़ी पर पहले जीएसटी 28 परसेंट था, जिसे अब घटाकर 18 परसेंट कर दिया गया है. वहीं, बीड़ी बनाने में इस्तेमाल होने वाले तेंदू के पत्ते पर जीएसटी को 18 परसेंट से कम कर 5 परसेंट कर दिया गया है. इसके विपरीत, सिगरेट और तंबाकू से बनाए गए दूसरे उत्पादों पर मौजूदा समय में 28 परसेंट की दर से जीएसटी लगता है, जिसे अब बढ़ाकर 40 परसेंट कर दिया जाएगा. अब सवाल आता है कि बीड़ी पर जीएसटी क्यों घटाई गई है?
बीड़ी उद्योग से जुड़ी कई लोगों की रोजीरोटी
दरअसल, इसका मकसद शायद घरेलू बीड़ी उद्योगों को बचाना हो सकता है, जिससे 70 लाख से भी ज्यादा लोगों की रोजीरोटी जुड़ी हुई है. सरकार के इस कदम ने बेशक लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सिर्फ सिगरेट से ही सेहत को नुकसान पहुंचता है, बीड़ी से नुकसान है क्या कुछ लोग इसे राजनीति का रूप देते हुए बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़कर देख रहे है.
लोग इस पर यह कहते हुए चुटकियां भी ले रहे हैं कि बीड़ी पर जीएसटी में कटौती से पता चलता है कि सरकार वाकई में आम जनता के लिए काम कर रही है. इस बात की भी चिंता जताई जा रही है कि बीड़ी सिगरेट से ज्यादा हानिकारक है. इसका सेवन ज्यादा समाज के वंचित वर्ग के लोग करते हैं, जिससे वे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं.
इन सबने की थी बीड़ी पर जीएसटी घटाने की मांग
इससे पहले, आरएसएस सहित कई सामाजिक संगठनों ने सरकार से बीड़ी पर 28 परसेंट जीएसटी दर कम करने का आग्रह किया था. उनका तर्क था कि इससे मजदूरों को मदद मिलेगी.
आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखा कि 28 परसेंट जीएसटी ने बीड़ी निर्माण के पंजीकृत क्षेत्र में रोजगार को प्रभावित किया है. मंच ने कहा कि इससे अपंजीकृत बीड़ी उत्पादन इकाइयों में काम करने वाले मजदूरों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. स्वदेशी जागरण मंच ने कहा था कि पहले सरकार बीड़ी पर थोड़ी मात्रा में एक्साइज ड्यूटी लगाती थी. कई राज्यों ने बीड़ी श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बीड़ी की बिक्री पर टैक्स तक नहीं लगाया.
कंपनसेशन सेस की बढ़ाई गई मियाद
सरकार ने कहा है कि जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे, लेकिन सिगरेट, पान मसाला, गुटखा, बीड़ी और अन्य तंबाकू उत्पाद सरकार के लिए गए लोन की भरपाई होने तक उसी रेट पर बेचे जाते रहेंगे. बता दें कि कोरोना महामारी के बाद सरकार ने कंपनसेशन सेस को 2026 तक लागू रखने का फैसला लिया था. यह लग्जरी और सिन आइटम्स पर लगाया जाने वाला एक टैक्स है. केंद्र सरकार ने कोविड-19 के दौरान राज्यों की मदद करने के लिए 2.69 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. इसी कर्ज को चुकाने के लिए कंपनसेशन सेस की मियाद बढ़ाई गई थी.
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