<p style="text-align: justify;">भारत को तरक्की की राह पर ले जाने के यूनियन बजट के प्लान में और भी कई राज छिपे हैं. इकोनॉमी और इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्लान पर तो सबकी नजर है, परंतु एक प्लान ऐसा है जो इंडस्ट्री में सोशल गैप मिटाने के मकसद से लाया गया है. यह है दलित, आदिवासी या महिलाओं में से कोई अगर इंटरप्रेन्योर बनना चाहता है तो उसे दो करोड़ तक का लोन दिया जाएगा. पांच साल तक यह योजना चलाई जाएगी. इस दौरान पांच लाख दलित, आदिवासी और महिला उद्योगपति खड़े किए जाएंगे. बजट पेश करने के बाद पहली बार संसद गई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस स्कीम की संभावनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी.</p>
<h3 style="text-align: justify;">ग्रीन रिवॉल्यूशन की तरह है प्लान</h3>
<p style="text-align: justify;">जानकारों की राय में एग्रीकल्चर ग्रोथ के लिए ग्रीन रिवॉल्यूशन के प्लान की तरह यह इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन के लिए है. इससे एक ओर जहां इंडस्ट्री के सोशल गैप को पाटने में मदद मिलेगी, वहीं बड़े तबके को इंडस्ट्री से जोड़कर मार्केट डिमांड बढ़ाने से लेकर इकोनॉमिक ग्रोथ तक में मदद मिलेगी. इससे कमजोर समूहों में फंडिंग के अंतर को पाटने में भी सहूलियत होगी. इस स्कीम से ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए सरकार मेंटरशिप प्रोग्राम पर भी विचार कर सकती है. हालांकि इस योजना में लोन वसूली के रिस्क को भी ध्यान में रखना होगा, नहीं तो यह एनपीए बढ़ाकर दूसरी ही समस्या खड़ी कर देगा. </p>
<h3 style="text-align: justify;">मील का पत्थर हो सकता है साबित</h3>
<p style="text-align: justify;">जानकारों की राय में दलित, आदिवासी और महिलाओं के बीच से उद्योगपति खड़ा करने के लिए यह योजना तो सही मंशा से लाई गई है, अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया तो यह इकोनॉमिक इंपावरमेंट में मील का पत्थर साबित हो सकता है. माइक्रोफाइनेंस और एसएचजी ने देश की अनगिनत महिलाओं को जैसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाया, ठीक उसी तरह से दलित, आदिवासी और महिलाओं के लिए यह इंडस्ट्री में साबित हो सकता है. इसका मकसद इन समूहों के लिए बाधाओं को हटाकर किनारे पर पड़े सामाजिक समूहों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है. </p>
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दलित, आदिवासी उद्योगपति बनाएंगे भारत को विश्व गुरु! क्या है निर्मला सीतारमण का प्लान
