दिल्ली के इस कॉलेज में कई छात्रों को एग्जाम देने से रोका, प्रिंसिपल ने क्यों उठाया ऐसा कदम?

दिल्ली के इस कॉलेज में कई छात्रों को एग्जाम देने से रोका, प्रिंसिपल ने क्यों उठाया ऐसा कदम?


दिल्ली के सेंट स्टीफेन कॉलेज में फर्स्ट ईयर के 54 छात्रों को एग्जाम देने से रोक दिया गया है. इस संबंध में कॉलेज ने 4 जून को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें बताया गया कि फर्स्ट ईयर के 54 ऐसे स्टूडेंट्स हैं, जिन्होंने 66.7% अटेंडेंस की न्यूनतम सीमा पूरी नहीं की थी. इस वजह से इन स्टूडेंट्स को 9 जून से शुरू हुए एग्जाम में बैठने की इजाजत नहीं दी गई. ऐसे में स्टूडेंट्स ने नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि कॉलेज मैनेजमेंट उनका कोई भी पक्ष सुनने के लिए तैयार नहीं है. 

स्टूडेंट्स ने कही यह बात

परीक्षा देने से रोके गए स्टीफेंस के स्टूडेंट्स का कहना है कि कॉलेज की प्रक्रिया के अनुसार ऐसे छात्रों को प्रिंसिपल से मिलकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का कम से कम मौका मिलना चाहिए था, लेकिन प्रिंसिपल बिना कोई जानकारी  दिए कॉलेज से 10 दिन के लिए बाहर चले गए. इसी दौरान 9 जून से परीक्षाएं शुरू हो गईं, जिनमें इन छात्रों को परीक्षा में बैठने की इजाजत नहीं दी गई. छात्रों का कहना है कि उनकी अनुपस्थिति के पीछे कई कारण थे. इनमें मेडिकल या पारिवारिक आपात स्थिति, कॉलेज की ओर से खेल या दूसरे  कार्यक्रमों में भागीदारी या हाल ही में पहलगाम में हुए हमले के कारण प्रभावित होना आदि वजह शामिल हैं.

प्रिंसिपल पर लगाया यह आरोप

छात्रों का कहना है कि जब प्रिंसिपल वापस लौटे तो उन्होंने छात्रों से मिलने से इनकार कर दिया. वहीं, कई छात्र अपने माता-पिता और अभिभावकों के साथ कॉलेज गेट पर पूरे दिन (सुबह 8 से शाम 4 बजे तक) उनका इंतजार करते रहे. इसके बाद भी मुलाकात नहीं हो पाई. छात्रों का आरोप है कि प्रिंसिपल ने उनसे बदतमीजी की. साथ ही, व्यक्तिगत मुलाकात से मना करते हुए सस्पेंड करने की धमकी तक दी. 

कॉलेज मैनेजमेंट ने नहीं की मदद

फर्स्ट ईयर के छात्र बताते हैं कि इस दौरान एक छात्रा घबराहट के कारण बेहोशी की कगार पर पहुंच गई, लेकिन कॉलेज मैनेजमेंट ने व्हीलचेयर या एंबुलेंस जैसी मदद देने से भी इनकार कर दिया. छात्रा को प्रिंसिपल के गार्ड्स ने धमकी भी दी. छात्रों को अपनी अनुपस्थिति के पीछे कारण बताने का भी कोई मौका नहीं दिया गया. यह मामला सीनियर टीचर्स के सामने रखा गया तो उन्होंने कहा कि वे कुछ नहीं कर सकते हैं. अहम बात यह है कि सिर्फ असेंबली में उपस्थित न होने के कारण पिछले साल भी 100 से ज्यादा छात्रों को दंडित किया गया था, जिससे प्रशासन की सख्ती पर सवाल उठे थे. 

छात्रों ने जताई यह चिंता

  • कई छात्रों को मेडिकल या पारिवारिक आपात स्थिति का सामना करना पड़ा, फिर भी कोई राहत नहीं दी गई. सभी पर एक जैसे कठोर नियम लागू किए गए, चाहे परिस्थितियां कुछ भी रही हो. हर सेमेस्टर में अटेंडेंस का मापदंड बदलता रहा और आखिर में घोषित किया गया, जिससे छात्रों को कोई जानकारी पहले से नहीं मिली. 
  • पिछले वर्षों में छात्रों को अंडरटेकिंग देकर परीक्षा में बैठने की इजाजत दी जाती थी, जो इस बार नहीं दी गई. पहले विभागों से राय लेकर ही फैसले लिए जाते थे. अब वह प्रक्रिया समाप्त कर दी गई.
  • प्रिंसिपल ने अपने स्तर पर सभी निर्णय लिए और 10 दिन तक अनुपस्थित रहे. छात्रों का आरोप है कि उप-प्राचार्य का पद वर्षों से खाली होने के कारण प्रशासनिक कार्यों में रुकावट आती है और छात्रों की चिंताओं और शिकायतों को सुनने वाला कोई नहीं है.

कॉलेज प्रशासन ने नहीं दिया कोई जवाब

इस पूरे  घटनाक्रम पर कॉलेज प्रशासन की ओर से फिलहाल कोई सफाई नहीं दी गई है. एबीपी न्यूज ने स्टीफेंस कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन वर्गीज का पक्ष लेने की कोशिश की गई, लेकिन रिपोर्ट लिखे जाने तक उनसे संपर्क नहीं हो सका. 

ये भी पढ़ें: ‘कबीर सिंह’ और ‘टाइटैनिक’ से रिश्तों की अहमियत समझाएगा DU, स्टूडेंट्स पढ़ेंगे ‘नजदीकी रिश्तों को समझना’

Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *