सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने लगभग 2 घंटे तक ताहिर हुसैन और दिल्ली पुलिस के वकीलों की दलीलें सुनीं. जस्टिस मिथल ने ताहिर पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उसे जमानत देने से मना कर दिया. वहीं, जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि आरोप कितने भी गंभीर हों, वह फिलहाल सिर्फ आरोप ही हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम ज़मानत दे दी जानी चाहिए. जस्टिस अमानुल्लाह ने ताहिर को 4 फरवरी की सुबह तक अंतरिम जमानत देने की बात कही.
अब 3 जजों की बेंच करेगी सुनवाई
दोनों जजों का फैसला पूरा होने के बाद बेंच के अध्यक्ष जस्टिस पंकज मिथल ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह अब इस मामले को चीफ जस्टिस के सामने रखे, ताकि वह 3 जजों के बेंच का गठन करके इस मामले की सुनवाई करवाएं.
दिल्ली दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की गई थी जान
2020 के दिल्ली दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई थी. ताहिर हुसैन पर दंगों में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप है. उस पर आईबी की अधिकारी अंकित शर्मा के हत्या करवाने का भी आरोप है. दंगों के 8 मामलों में उसे जमानत मिल चुकी है. लेकिन अंकित शर्मा हत्याकांड में उसे जमानत नहीं मिली है. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर हुसैन को कस्टडी परोल पर बाहर आकर अपना नामांकन दाखिल करने की अनुमति दी थी. लेकिन चुनाव प्रचार के लिए जमानत देने से मना कर दिया था.
हालांकि, अगर ताहिर हुसैन को अंकित शर्मा हत्याकांड केस में अंतरिम जमानत मिल भी जाती है तब भी उसका बाहर आना मुश्किल होगा. उसके खिलाफ PMLA और UAPA के भी 2 मामले हैं. इन मामलों में उसे निचली अदालत से जमानत नहीं मिली है.