‘दुनिया के सारे टूरिस्ट भी मिल जाएं तो कुंभ का मुकाबला नहीं कर पाएंगे’, बोले गजेंद्र शेखावत

‘दुनिया के सारे टूरिस्ट भी मिल जाएं तो कुंभ का मुकाबला नहीं कर पाएंगे’, बोले गजेंद्र शेखावत


Mahkumbh 2025: केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को कहा कि दुनियाभर का सारा पर्यटन मिलकर भी महाकुंभ में शामिल होने वालों की संख्या की बराबरी नहीं कर सकता. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी पत्रिका ‘पांचजन्य’ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में शेखावत ने यह भी कहा कि भारत के सौभाग्य का सूरज फिर से उगेगा क्योंकि राम मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया है.

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के बारे में पूछे जाने पर संस्कृति मंत्री ने कहा कि कुंभ के आर्थिक पहलू को नजरअंदाज कर दिया जाता है. उन्होंने देश के अन्य धार्मिक स्थलों पर बड़ी संख्या में पर्यटकों के पहुंचने का उदाहरण दिया. शेखावत ने कहा, ‘‘हम कुंभ के धार्मिक और सामाजिक पहलुओं के बारे में बात करते हैं, लेकिन किसी ने कुंभ के आर्थिक पहलू की कल्पना नहीं की है.’’

45 करोड़ लोग अकेले कुंभ में भाग ले रहे हैं

शेखावत ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि फ्रांस में चार करोड़ पर्यटक पहुंचते हैं, थाईलैंड में 4.5 करोड़, दुबई में दो-ढाई करोड़ पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन भारत में केवल 1.30 करोड़ पर्यटक पहुंचते हैं. वे यह नहीं देखते कि 45 करोड़ लोग अकेले कुंभ में भाग ले रहे हैं. पूरी दुनिया का सारा पर्यटन एक साथ मिला दें तो भी यह महाकुंभ की बराबरी नहीं कर सकता. अगर धार्मिक स्थलों पर विचार किया जाए तो हर साल साढ़े चार करोड़ लोग उज्जैन में महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और वे भी पर्यटक ही होते हैं, लेकिन कभी अर्थव्यवस्था में उनके योगदान का आकलन नहीं किया गया.”

अर्थव्यवस्था में महाकुंभ का बड़ा योगदान

गजेंद्र शेखावत ने कहा, ‘‘अगर कुंभ में 45 करोड़ लोग आ रहे हैं तो सोचिए कि अर्थव्यवस्था में इसका कितना बड़ा योगदान है. हमने कभी वैश्विक स्तर पर इसे सामने लाने की कोशिश नहीं की. इस बार हम उम्मीद कर रहे हैं कि कुंभ में 15-20 लाख अंतरराष्ट्रीय आगंतुक भाग लेंगे. कुंभ दुनिया के लिए भारत की भव्यता देखने का अवसर है. भारत के लोग कभी भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से दूर नहीं थे, लेकिन पिछली सरकारों को इस पर गर्व नहीं था. वर्तमान सरकार के तहत सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो रहा है. लगभग 450-500 साल पहले जब बाबर के सेनापति ने राम मंदिर को ध्वस्त कर दिया था तो भारत के सौभाग्य का सूरज भी डूब गया था. 500 साल की यह यात्रा समाप्त हो गई है और जिस दिन से राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई है हमारी संस्कृति और सौभाग्य का सूरज फिर से उगने लगा है.”

यह भी पढ़ें- ‘कुंभ में हो गई 11 लोगों की मौत’, सोशल मीडिया पर दावा करना पड़ा भारी, दर्ज हो गई दो लोगों पर FIR



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *