दुबई के नई गोल्डन वीजा स्कीम का रियल एस्टेट पर क्या होगा असर? जानें एक्सपर्ट्स की राय

दुबई के नई गोल्डन वीजा स्कीम का रियल एस्टेट पर क्या होगा असर? जानें एक्सपर्ट्स की राय


UAE Golden Visa Rules: यूएई की सरकार ने गोल्डन वीजा के लिए नियम को और आसान बनाते हुए बिजनेस या प्रॉपर्टी में निवेश करने की जरूरत को खत्म कर दिया है. यानी कि अब यहां लाइफटाइम रेजिडेंसी के लिए संपत्ति या व्यवसाय में निवेश करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. गोल्डन वीजा हासिल करने के लिए एक लाख दिरहम यानी 23.3 लाख भारतीय रुपये की फीस भरनी होगी. जबकि पहले इसी गोल्डन वीजा के लिए कम से कम 4.66 करोड़ रुपये का निवेश करना जरूरी था.

मिड सेगमेंट को बढ़ावा मिलने की उम्मीद 

अब सवाल यह आता है कि इसका दुबई में रियल एस्टेट मार्केट पर कितना असर होगा? आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट्स का इस बारे में क्या कहना है? यूएई की सरकार का मानना है कि  नई गोल्डन वीजा स्कीम से मिड रेंज सेगमेंट में प्रॉपर्टी में निवेश को बढ़ावा मिलेगा.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ANAROCK Group के मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका के मैनेजिंग डायरेक्टर मॉर्गन ओवेन का कहना है कि दुबई का गोल्डन वीजा भारतीयों के लिए आकर्षक है, जिन्हें प्रॉपर्टी या बिजनेस में निवेश किए बिना ही 23 लाख रुपये देकर दुबई में लंबे समय तक ठहरने का मौका मिलेगा. उन्होंने यह भी कहा, निश्चित रूप से इससे अपर मिडिल क्लास व संपन्न भारतीयों को बढ़ावा मिलेगा. UHNI ब्रैकेट से नीचे आने वाले यह सेक्शन भारत में अल्ट्रा-लक्जरी हाउसिंग मार्केट को आगे बढ़ाता है. 

रेंटल मार्केट को भी मिलेगी मजबूती 

JLL इंडिया के वरिष्ठ निदेशक और आवासीय सेवाओं और डेवलपर पहल के प्रमुख (उत्तर और पश्चिम) रितेश मेहता कहते हैं, गोल्डन वीजा फीस को 23 लाख रुपये तक कम कर यूएई युवा पेशेवरों और नई प्रतिभाओं को आमंत्रित कर रहा है, न कि केवल अमीर निवेशकों को. हमें उम्मीद है कि इससे रेंटल मार्केट्स को मजबूती मिलेगी क्योंकि शुरुआत में कई लोग यहां आकर रेंट पर ही रहना पसंद करेंगे. 

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