दुबई में खुलेगा IIM अहमदाबाद का इंटरनेशनल कैंपस, वैश्विक स्तर पर होगा भारतीय शिक्षा का विस्तार

दुबई में खुलेगा IIM अहमदाबाद का इंटरनेशनल कैंपस, वैश्विक स्तर पर होगा भारतीय शिक्षा का विस्तार


भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (IIM Ahmedabad) ने बड़ा कदम उठाया है और अपने पहले अंतरराष्ट्रीय कैंपस की घोषणा कर दी है. यह कैंपस दुबई इंटरनेशनल अकैडमिक सिटी में बनेगा. इसको लेकर UAE सरकार और IIM-A के बीच एमओयू पर साइन हो गए हैं. यह ऐतिहासिक कदम पीएम नरेंद्र मोदी और दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की हालिया मुलाकात के दौरान उठाया गया.

स्टूडेंट्स को क्या होगा फायदा?

इस MoU पर IIM अहमदाबाद के डायरेक्टर प्रोफेसर भरत भास्कर और दुबई के इकॉनमी एंड टूरिज्म डिपार्टमेंट के डायरेक्टर जनरल हेलाल सईद अलमारी ने दस्तखत किए. कैंपस की स्थापना से भारत और UAE के बीच शिक्षा क्षेत्र में साझेदारी को नई मजबूती मिलेगी. IIM-A ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर यह जानकारी साझा करते हुए लिखा, “हम अपनी अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी को बढ़ाने के लिए बेहद उत्साहित हैं. IIM अहमदाबाद का नया इंटरनेशनल कैंपस दुबई इंटरनेशनल अकैडमिक सिटी में स्थापित होगा.”

कब शुरू होगा पहला एमबीए प्रोग्राम?

इस कैंपस में एस्टेब्लिशमेंट के क्षेत्र में शिक्षा को विश्व में ऊंचा दर्ज देगा और पहला MBA प्रोग्राम सितंबर 2025 से शुरू किया जाएगा. IIM-A का यह कदम UAE में रहने वाले भारतीय समुदाय के साथ-साथ बाकी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भी विश्व स्तर पर उच्च शिक्षा का मौका देगा. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि यह भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था के लिए एक गौरवशाली क्षण है. उन्होंने इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत वैश्विक भारतीय संस्थानों की स्थापना की दिशा में एक अहम उपलब्धि बताया.

IIFT भी खोलेगा पहला विदेशी कैंपस

इसके अलावा भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT) भी दुबई में अपना पहला विदेशी कैंपस खोलने जा रहा है, जिसका इंडिया पवेलियन एक्सपो सिटी दुबई में बनाया जाएगा. यह कदम न केवल शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत-UAE संबंधों को भी और मजबूत बनाएगा. प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मौके पर दुबई के साथ सहयोग को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी का प्रतीक है. IIM अहमदाबाद का अंतरराष्ट्रीय विस्तार केवल एक शैक्षणिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत के ज्ञान और नेतृत्व को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक बहुत जरूरी पहल है. इससे न केवल छात्रों को फायदा मिलेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग भी बेहतर होने की उम्मीद है. 

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