देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने जून में लगाई छलांग, PMI इंडेक्स पहुंचा 58 के पार

देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने जून में लगाई छलांग, PMI इंडेक्स पहुंचा 58 के पार


Manufacturing Sector PMI June: जून में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गजब की तेजी देखने को मिली. एक तरफ अमेरिकी टैरिफ और दूसरी तरफ ईरान-इजरायल के बीच जंग के बावजूद भी फैक्ट्री एक्टिविटी 14 महीने के हाई लेवल पर पहुंच गई क्योंकि इसी महीने दूसरे देशों के साथ कारोबार में गजब का उछाल आया है. 

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, HSBC में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा, ”भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का PMI जून में चौदह महीने के हाई लेवल 58.4 पर पहुंच गया है. यानी कि चीजों की डिमांड बढ़ी, तो नए ऑर्डर्स पर काम तेजी से हुआ है और लोगों को रोजगार भी मिला.”

HSBC इंडिया इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मई में 57.6 से बढ़कर 58.4 हो गया, जो इस साल इस सेक्टर के मजबूत प्रदर्शन का तीसरा महीना था. तिमाही के नजरिये भी नजीता पॉजिटिव रहा है क्योंकि जून तिमाही में एवरेज PMI रीडिंग जनवरी-मार्च की तिमाही 57.4 से बढ़कर 58.1 हो गई है, जो कारखानों में बढ़ते प्रोडक्शन और घरेलू मांग में वृद्धि का संकेत देती है. 

क्या होता है PMI इंडेक्स? 

बता दें कि PMI मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधि का पता चलता है. यह एक ऐसा इंडेक्स है, जिसमें नए ऑर्डर, प्रोडक्शन, सप्लायर्स को डिलीवरी, रोजगार और इंवेस्ट्री जैसी चीजों पर डेटा कलेक्ट किया जाता है. अगर PMI 50 से ऊपर है, तो इसका मतलब है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का दायरा बढ़ रहा है, 50 है तो मतलब स्थिति ज्यों की त्यों है और 50 से नीचे है तो मतलब इसका दायरा कम हो रहा है, फैक्ट्री एक्टिविटी कम हो रही है.  

चुनौतियों से लड़कर आगे बढ़ रहा ये सेक्टर 

सबसे खास बात यह है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में यह उछाल एक ऐसे समय में आया है, जब भारत लगातार तीसरे महीने अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहा है. यानी कि तमाम चुनौतियों से निपटकर यह सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है. HSBC ने कहा, एक्सपोर्ट के नए ऑर्डर्स में आए ग्रोथ की वजह से जून में सेक्टर में तेजी आई है. इससे रोजगार को भी बढ़ावा मिला है. 

हालांकि, इंडस्ट्रियल आउटपुट के मोर्चे पर तस्वीर मंद नजर आ रही है. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन इंडेक्स (IIP) के मुताबिक, मई में ओवरऑल इंडस्ट्रियल एक्टिविटी नौ महीने के निचले स्तर 1.2 परसेंट पर आ गई है, जो भारी बारिश के कारण इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन और माइनिंग में आई रूकावट का नतीजा है. 

 

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