देश-दुनिया के पहले सरस्वती शिशु मंदिर में आजादी के बाद से तैयार हो रही है संघ की नई पौध

देश-दुनिया के पहले सरस्वती शिशु मंदिर में आजादी के बाद से तैयार हो रही है संघ की नई पौध


गोरखपुर, जिसे गीता प्रेस, गोरक्षपीठ और दुनिया के सबसे लंबे रेलवे प्लेटफार्म के लिए जाना जाता है, वहीं इस शहर में एक और ऐतिहासिक पहचान जुड़ी है – सरस्वती शिशु मंदिर. यह न केवल शिक्षा का एक केंद्र है, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की भावी पीढ़ी को तैयार करने की प्रयोगशाला भी. गोरखपुर के दुर्गाबाड़ी इलाके में स्थित यह विद्यालय, आजादी के बाद संघ द्वारा स्थापित पहला ऐसा स्कूल था, जिसने शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों की नींव भी रखी.

साल 1952 में नानाजी देशमुख, भाऊराव देवरस और कृष्ण चंद्र गांधी जैसे प्रचारकों की प्रेरणा से इस विद्यालय की नींव रखी गई थी. शुरुआत में पांच रुपए महीने के किराए पर एक भवन में यह स्कूल चला करता था. पहले प्रधानाचार्य कृष्णकांत वर्मा रहे. धीरे-धीरे यह विद्यालय एक वटवृक्ष की तरह फैलता गया और देशभर में विद्या भारती के बैनर तले हजारों शाखाएं खुलती चली गईं.

गोरक्षपीठ और सरस्वती शिशु मंदिर का गहरा रिश्ता

आज इस विद्यालय में प्ले-वे से लेकर 12वीं तक की शिक्षा दी जाती है, वो भी हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में. वर्तमान में यहां 3500 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं. स्कूल में 200 बच्चों के लिए छात्रावास भी है, जिसमें दूर-दराज से आए बच्चे रहते हैं. यहां 100 के करीब शिक्षक और शिक्षिकाएं पढ़ा रहे हैं. इतना ही नहीं, श्रीराम वनवासी कल्याण आश्रम के 30 आदिवासी बच्चे और RTE के तहत 19 बच्चे भी यहां मुफ्त शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

गोरक्षपीठ और सरस्वती शिशु मंदिर का संबंध भी गहरा है. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवैद्यनाथ और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ – तीनों पीढ़ियों से यह रिश्ता मजबूत होता चला आ रहा है. यही कारण है कि जब 2022 में योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ाया गया, तब संघ ने भी इसी विद्यालय को केंद्र बनाकर बैठकों और रणनीतियों के जरिए उन्हें भारी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई.

विद्यालय से निकले लाखों संस्कारित नागरिक

आज इस स्कूल की छवि सिर्फ एक विद्यालय की नहीं, बल्कि एक वैचारिक केंद्र की बन चुकी है. विद्या भारती के प्रांत उपाध्यक्ष रामनाथ गुप्ता के अनुसार, पूरे देश और दुनिया में 25 हजार से ज्यादा स्कूल संघ के इसी मॉडल पर चल रहे हैं, जिनमें करीब 24 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं और दो लाख से ज्यादा शिक्षक उन्हें शिक्षित और संस्कारित कर रहे हैं.

जहां एक ओर गोरखपुर को साहित्य, योग और धार्मिक परंपराओं का गढ़ माना जाता है, वहीं सरस्वती शिशु मंदिर पक्की बाग भी इस शहर की शिक्षा और राष्ट्र निर्माण में सबसे मजबूत कड़ी बन चुका है. यह विद्यालय सिर्फ पढ़ाई नहीं सिखाता, यह बच्चों को अच्छा इंसान और संस्कारी नागरिक भी बनाता है और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है.

ये भी पढ़ें: एक दिन में कितना कमा लेते हैं Apple के नए COO सबीह खान, सैलरी जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *