Social Media Apps Ban: तुर्किए सरकार ने अस्थायी रूप से कई बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की पहुंच रोक दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक यूट्यूब, एक्स (पहले ट्विटर), इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर पाबंदी तब लगी जब इस्तांबुल में पुलिस और विपक्षी समर्थकों के बीच झड़प हो गई. इस दौरान देशभर में इंटरनेट की स्पीड 12 घंटे तक धीमी रही. विरोध प्रदर्शन उस समय भड़के जब सरकार द्वारा नियुक्त एक ट्रस्टी ने रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (CHP) के मुख्यालय पर नियंत्रण करने की कोशिश की.
प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सुरक्षा बलों ने पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया, जिसके बाद यह प्रतिबंध लागू हुआ. बहुत से यूजर्स वीपीएन का सहारा लेकर बैन से बचने की कोशिश करते दिखे. यह घटनाक्रम हाल ही में नेपाल में हुए सोशल मीडिया बैन जैसा ही है, जहां सरकार ने 26 प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगाई थी और हालात इतने बिगड़े कि कर्फ्यू तक लगाना पड़ा.
तुर्किए में क्यों लगाया गया सोशल मीडिया बैन?
Euronews की रिपोर्ट के अनुसार, CHP के इस्तांबुल मुख्यालय को कई दिनों से पार्टी समर्थकों ने घेर रखा था. उनका मकसद था ट्रस्टी गुरसेल टेकिन को दफ्तर का नियंत्रण संभालने से रोकना. टेकिन को सरकार ने ओज़गुर सेलिक की जगह नियुक्त किया था जिन्हें सितंबर 2023 में चुना गया था.
हालांकि दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है लेकिन पूरे देश में इंटरनेट एक्सेस अस्थिर बना हुआ है. आमतौर पर तुर्किए की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्राधिकरण (BTK) वेबसाइट या ऐप ब्लॉक होने पर बयान जारी करती है लेकिन इस बार ऐसा कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ. BTK की वेबसाइट पर भी किसी प्रतिबंध का जिक्र नहीं दिखा. फिर भी सोमवार शाम 5 बजे तक इस्तांबुल में यूट्यूब, एक्स, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप काम करना बंद कर चुके थे. कुछ अन्य प्रांतों में लोगों ने सेवाओं के चलने की जानकारी दी.
विपक्ष पर बढ़ा दबाव
मार्च से ही सरकार विपक्षी दल CHP को निशाने पर ले रही है. इस्तांबुल के मेयर और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एकरेम इमामोग्लू को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के बाद कई अन्य नेताओं को भी हिरासत में लिया गया. इसी बीच आलोचकों का आरोप है कि सरकार फिर से पूर्व अध्यक्ष केमल किलिचदारोग्लू को पार्टी की कमान सौंपना चाहती है जबकि मौजूदा प्रमुख ओज़गुर ओज़ल 2023 के अंत में चुने गए थे.
सितंबर के मध्य में होने वाली सुनवाई यह तय करेगी कि किलिचदारोग्लू की वापसी होगी या नहीं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा हुआ तो पार्टी में और ज्यादा फूट पड़ सकती है. दिलचस्प यह है कि भले ही वह वापसी कर लें लेकिन 21 सितंबर को होने वाली असाधारण कांग्रेस में ओज़ल अभी भी मजबूत दावेदार बने हुए हैं.
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