नेपाल में संसदीय चुनाव की तारीख फाइनल, सियासी दलों ने संसद भंग किए जाने को बताया ‘असंवैधानिक’

नेपाल में संसदीय चुनाव की तारीख फाइनल, सियासी दलों ने संसद भंग किए जाने को बताया ‘असंवैधानिक’


नेपाल में संसदीय चुनावों की तारीख का ऐलान हो चुका है. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि देश में अगले साल 5 मार्च, 2026 को संसदीय चुनाव आयोजित किए जाएंगे. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अपील करते हुए कहा है कि कठिन परिस्थिति का शांतिपूर्ण समाधान मिल गया है. उन्होंने यह भी कहा कि संविधान, संसदीय प्रणाली और संघीय गणराज्य की स्थापना हो चुकी है.

राष्ट्रपति पौडेल ने शुक्रवार (12 सितंबर, 2025) को नेपाल की नवनियुक्त अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश के बाद देश के संसद को भंग किया और अगले संसदीय चुनाव को लेकर अंतिम फैसला लिया. इसके साथ ही उन्होंने आगामी संसदीय चुनाव को सफल बनाने के लिए सभी पक्षों से सहयोग की अपील भी की है.

नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने जारी किया बयान

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शनिवार (13 सितंबर, 2025) की शाम में जारी किए अपने बयान में कहा, ‘देश की कठिन, जटिल और भयानक परिस्थितियों में भारी मशक्कत के बाद एक शांतिपूर्ण समाधान निकला है. संविधान की रक्षा हुई है, संसदीय व्यवस्था भी कायम रही है और संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य भी पूरी तरह से सुरक्षित है. नेपाल की जनता को छह महीने के भीतर संसद का सफलतापूर्वक चुनाव कराकर एक आधुनिक लोकतंत्र की ओर आगे बढ़ने का मौका मिला है.’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं सभी पक्षों से पूरी ईमानदारी से अपील करता हूं कि कठिन मशक्कत के बाद मिले इस मौके का सभी बुद्धिमानी से लाभ उठाएं. आप लोगों का विश्वास जीतें, संयम बरतें और 5 मार्च, 2026 को निर्धारित चुनाव की सफलता सुनिश्चित करने में सहयोग करें.’

आठ राजनीतिक दलों ने संसद भंग का किया विरोध

राष्ट्रपति पौडेल का यह बयान उस समय आया, जब नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों के तत्काली मुख्य सचेतकों (Chief Whips) ने संसद की बहाली की मांग करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया. नेपाल के भंग संसद के आठ राजनीतिक दलों ने संसद भंग को असंवैधानिक करार दिया है.

इन आठ राजनीतिक दलों में नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-माओवादी सेंटर, सीपीएन यूनिफाइड सोशलिस्ट, जेएसपी, जनमत पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी शामिल है. इन सभी पार्टियों ने संयुक्त बयान में संसद भंग को संविधान पर हमला बताया है. उन्होंने बयान में कहा, ‘इस तरह के कृत्य ने नेपाली लोगों के मताधिकार का अवमूल्यन किया है और संवैधानिक सर्वोच्चता और संविधान पर हमला किया है.’

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