North East Small Finance Bank: नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड (NESFB) ने अपना नाम बदलकर स्लाइस स्मॉल फाइनेंस बैंक (स्लाइस SFB) कर लिया है. यह बदलाव भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 14 मई, 2025 को अधिसूचना जारी करने के बाद हुआ. 16 मई, 2025 को भारत के राजपत्र में यह अपडेट पब्लिश किया गया. आरबीआई लिस्टिंग अब स्लाइस SFB को पहले रखे गए सभी वैधानिक अधिकार और दायित्वों के साथ आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत एक अनुसूचित बैंक के रूप में मान्यता देती है.
अक्टूबर 2024 में स्लाइस के साथ हुआ मर्जर
बता दें कि यह रीब्रांडिंग अक्टूबर 2024 में बेंगलुरु बेस्ड स्टार्टअप स्लाइस का गुवाहाटी हेडक्वॉर्टर वाले NESFB के साथ मर्जर के साथ किया गया. इसी के साथ अब यह नए जमाने की एक बैंकिंग यूनिट बन गई है, जिसका मकसद स्लाइस के डिजिटल इनोवेशन को NESFB की रीजनल बैंकिंग विशेषताओं के साथ जोड़ना है.
2011 में बनी NESFB ने पूर्वोत्तर भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बैंक का इरादा अब अपनी शाखाओं में विस्तार करना है. साथ ही टेक्नोलॉजी, ग्राहकों की सुविधा और फाइनेंशियल एक्सेस पर अधिक फोकस करते हुए अपनी स्कीम्स और ऑफर्स को अधिक लोगों तक पहुंचाना है.
पुराने डॉक्यूमेंट्स का अब क्या?
अब सबसे बड़ा सवाल यह आता है कि क्या बैंक का नाम बदल जाने से पहले इश्यू किया गया पासबुक, चेकबुक, डेबिट कार्ड का क्या होगा? भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, किसी बैंक का नाम बदलने के बाद भी ग्राहक पासबुक, चेकबुक और डेबिट कार्ड जैसे पुराने बैंकिंग डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल कर सकेंगे. ये तब तक मान्य रहेंगे, जब तक कि बैंक की तरफ से खुद ग्राहकों को इन्हें बदलने के लिए न कहा जाए.
IFSC कोड बदलेगा?
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बारे में बात करते हुए सोलोमन एंड कंपनी की पार्टनर किनजल चंपनेरिया कहते हैं कि नाम बदलने के बाद बैंक धीरे-धीरे नए नाम और लोगों के लिए नया पासबुक, चेकबुक इश्यू करता है. इस पूरे प्रॉसेस में कुछ महीने लगते हैं, जिसकी जानकारी बैंक अपने ग्राहकों को दे देता है. जहां तक बात IFSC कोड की है, तो यह कोड भी अपने आप नहीं बदलता है. अगर बैंक कभी भविष्य में इसे बदलने का फैसला लेता भी है, तो इसके बारे में भी ग्राहकों को पहले से अपडेट कर दिया जाता है.
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