Public Sector Banks Divestment: भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन में हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है. लिस्टेड बैंकों और वित्तीय संस्थाओं में हिस्सेदारी बेचने में मदद करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) मर्चेंट बैंकरों और लीगल कंपनियों से बोलियां आमंत्रित की है. दीपम के आरएफपी (RFPs) के मुताबिक मर्चेंट बैंकरों और लीगल फर्मों को तीन साल के लिए एमपैनल्ड किया जाएगा. उनका कार्यकाल एक साल के लिए और बढ़ाया भी जा सकता है. मर्चेंट बैंकरों और लीगल कंपनियों के तौर पर बिड करने के लिए 27 मार्च 2025 आखिरी तारीख है.
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के अधीन आने वाले दीपम ( Department of Investment and Public Asset Management ) सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं में सरकारी हिस्सेदारी का प्रबंधन करता है. चयनित मर्चेंट बैंकर और लीगल फर्म चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सूचीबद्ध सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बेचने के लिए लेनदेन के समय सरकार को सलाह देंगे.
मर्चेंट बैंकर पूंजी बाजार लेनदेन को संभालने की क्षमता के आधार पर दो श्रेणियों के तहत दीपम के साथ सूचीबद्ध होने के लिए आवेदन कर सकते हैं. पहली श्रेणी ‘ए प्लस’ 2,500 करोड़ रुपये या उससे अधिक के लेनदेन के लिए है. इसी तरह 2,500 करोड़ रुपये से कम लेनदेन के लिए श्रेणी ‘ए’ होगी. मर्चेंट बैंकर के लिए बोलियां आमंत्रित करने के साथ ही सरकार ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी घटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
मौजूदा समय में स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड कई पब्लिक सेक्टर बैंकों और वित्तीय संस्थानों को शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी के 25 फीसदी मिनिमम शेयरहोल्डिंग मानकों को पालन करना बाकी है. सरकार ने ऐसे संस्थानों के लिए सेबी के नियम को पूरा करने का डेडलाइन एक अगस्त 2026 तय किया हुआ है. मौजूदा समय में 5 पब्लिक सेक्टर बैंकों को मिनिमम शेयरहोल्डिंग मानकों को पूरा करना है. अभी पंजाब एंड सिंघ बैंक में सरकार के पास 98.3 फीसदी, इंडियन ओवरसीज बैंक में 96.4 फीसदी, यूको बैंक में 95.4 फीसदी, सेंट्रल बैंक में 93.1 फीसदी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 86.5 फईसदी स्टेक है. इसके अलावा आईआरएफसी में 86.36 फीसदी, 85.44 फीसदी स्टेक न्यू इँडिया एंश्योरेंस में है.
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