‘पसलियां तोड़ीं, आंखें और दिमाग भी निकाला’, यूक्रेनी पत्रकार संग भयानक टॉर्चर

‘पसलियां तोड़ीं, आंखें और दिमाग भी निकाला’, यूक्रेनी पत्रकार संग भयानक टॉर्चर


Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच बीते 3 सालों से युद्ध जारी है. इस बीच एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है. साल 2023 में विक्टोरिया रोशचिना नाम की महिला पत्रकार, ज़ापोरिज्जिया के कब्जे वाले क्षेत्र में यूक्रेनी नागरिकों की अवैध हिरासत और यातना पर रिपोर्टिंग कर रहीं थीं. अब उस पत्रकार की मौत के खबर सामने आई है. मौत से पहले 27 वर्षीय विक्टोरिया को रूसी सेना ने हिरासत में लिया और महीनों तक टॉर्चर किया. CBS की रिपोर्ट के मुताबिक विक्टोरिया का शव यूक्रेन को लौटाया गया तो फोरेंसिक रिपोर्ट में भयानक यातना और अमानवीय व्यवहार के चौंकाने वाले निशान पाए गए. उनके शरीर पर खरोंच, टूटी पसलियां, गर्दन पर गहरे घाव और पैरों पर इलेक्ट्रिक शॉक के निशान मिले. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये रही कि दिमाग, आंख और विंड पाइप गायब है.

विक्टोरिया रोशचिना यूक्रेनी की यूक्रेन्स्का प्रावदा से जुड़ी हुई थीं. वह लंबे समय से कब्जे वाले क्षेत्रों में ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रही थीं. यूक्रेन्स्का प्रावदा के संपादक सेवगिल मुसैवा विक्टोरिया को जुझारू पत्रकार मानते थे. उन्होंने कहा कि विक्टोरिया कहती थीं कि जहां दूसरे लोग नहीं पहुंच पाते हैं, वहीं पत्रकार को होना चाहिए. उनकी हत्या ने यूक्रेन और अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता जगत को झकझोर दिया है. Committee to Protect Journalists ने इस हत्या को सीधा वॉर क्राइम बताया और रूस की जिम्मेदारी तय करने की मांग की.

यूक्रेन का दावा रोशचिना की मौत रूसी हिरासत में हुई
यूक्रेनी अभियोजकों के अनुसार रोशचिना की मौत रूसी हिरासत में हुई है. इसके पुख्ता सबूत मिले हैं. रूस की कार्रवाइयों में एक पैटर्न देखा जा सकता है, जहां युद्धग्रस्त क्षेत्रों में सच को दबाने के लिए पत्रकारों को निशाना बनाया जाता है. यूक्रेन का दावा है कि रूसी सेना की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन, बंधकों की अवैध हिरासत और रिपोर्टिंग रोकने के लिए पत्रकारों पर हिंसा की गई है. इसके बावजूद ग्लोबल लेवल पर किसी भी देश ने निंदा नहीं की है.

यूक्रेन में बढ़ते हमले और रिपोर्टिंग की चुनौती
जहां एक ओर खार्किव और द्निप्रो पर रूसी मिसाइल हमले जारी हैं, वहीं दूसरी ओर पत्रकारों के लिए ग्राउंड रिपोर्टिंग एक जानलेवा काम बन चुका है. फिर भी पत्रकार सच्चाई को सामने लाने के लिए हर दिन खतरा उठा रहे हैं. विक्टोरिया की मौत इस चुनौती का जीता-जागता उदाहरण है.



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