पाकिस्तान के साथ जंग में बाजार में उतार-चढ़ाव, लेकिन कोई बड़ी गिरावट नहीं; क्या है आखिर वजह?

पाकिस्तान के साथ जंग में बाजार में उतार-चढ़ाव, लेकिन कोई बड़ी गिरावट नहीं; क्या है आखिर वजह?


Share Market: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की खबरों ने हलचल मचा दी है. ऐसे में आज सुबह ट्रेडिंग सेशन की शुरुआत टेंशन के माहौल के बीच हुई. शुरुआती कारोबार में ही भारी बिकवाली देखी गई. सेंसेक्स खुलने के कुछ ही मिनटों में 500 अंक से ज्यादा फिसल गया और निफ्टी में भी गिरावट देखने को मिली. सुबह 9:48 बजे के आसपास सेंसेक्स 630 से ज्यादा अंक गिर चुका था और निफ्टी 24,000 से थोड़ा ऊपर कारोबार कर रहा था. 

बाजार में भले ही आज उतार-चढ़ाव है, लेकिन कोई बहुत बड़ी गिरावट नहीं आई है. इसके पीछे 3 बड़ी वजहें हैं- 

भारतीय सेना की ताकत पर है अटूट विश्वास

भारत और पाकिस्तान के बीच हमले की खबरों से भले ही निवेशक डरे हुए हैं, लेकिन भारत की मजबूत सैन्य कार्रवाई से राहत भी महसूस कर रहे हैं. इंडियाटुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा है, आमतौर पर इस तरह की परिस्थितियों में बाजार को नुकसान पहुंचता है, लेकिन पाकिस्तान के साथ जंग में भारत की काबिलियत ने बहुत लंबे समय तक संघर्ष बने रहने की आशंकाओं को सीमित कर दिया है. भारत और पाकिस्तान के बीच जंग को लेकर निवेशकों को लगता है कि इसमें भारत का ही पलड़ा भारी है. 

तेजी से आगे बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी के साथ आगे बढ़ रही है. ब्याज दरें कम हो रही हैं, महंगाई काबू में है. हाल ही में कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स की एक रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि आने वाले महीनों में भले ही चीन और अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मंदी की चपेट में आने की संभावना है, भले ही दुनिया की इकोनॉमिक ग्रोथ में कमी आने वाली है, लेकिन इस दौरान भारत तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में अपने पोजीशन को बरकरार रखने में कामयाब हो सकता है. इसी के साथ, वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अप्रैल 2025 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की दी गई जानकारी के मुताबिक, 2025 में भारत की जीडीपी जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगी. 

भारत की इकोनॉमी पर निवेशकों को भरोसा

भारतीय बाजार को लेकर विदेशी निवेशक भी कॉन्फिडेंट बने हुए हैं और इसी का नतीजा है कि पिछले सोलह कारोबारी सत्रों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी में पैसा लगाना जारी रखा है, जो यह दिखाता है कि भारत की इकोनॉमी को लेकर उनमें कितना गहरा भरोसा है और यही वजह है कि बाजार में कोई बड़ी गिरावट नहीं आई है. विजयकुमार आगे कहते हैं, निवेशकों को घबराकर बाजार से बाहर नहीं निकलना चाहिए. बाजार में अपना निवेश रहने दें, स्थिति पर नजर रखें और धूल जमने तक का इंतजार करें. 

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