पाकिस्तान को क्यों मालामाल करने में लगे हैं वर्ल्ड बैंक, IMF और IFC, अब दिए 700 मिलियन डॉलर

पाकिस्तान को क्यों मालामाल करने में लगे हैं वर्ल्ड बैंक, IMF और IFC, अब दिए 700 मिलियन डॉलर



<p style="text-align: justify;">एक महीने बाद पाकिस्तान को 700 मिलियन डॉलर का एक और लोन मिलने वाला है. शहबाज शरीफ सरकार ने कॉपर-गोल्ड माइनिंग रेको दिक प्रोजेक्ट के नाम पर फंड के लिए आग्रह किया था, जिसे इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (IFC) और वर्ल्ड बैंक ने मंजूरी दे दी. यह परियोजना पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है.</p>
<p style="text-align: justify;">पिछले महीने ही 9 मई को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के लिए 2.4 बिलियन डॉलर के लोन को मंजूरी दी थी, जिसमें से एक बिलियन डॉलर उसको 7 बिलियन डॉलर के लोन प्रोग्राम की किस्त के तौर पर दिया गया, जबकि 1.4 बिलियन डॉलर का ऋण जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मिला था. इस लोन को ऐसे समय पर मंजूरी दी गई, जब पाकिस्तान और भारत के रिश्ते बेहद तल्ख दौर से गुजर रहे थे और भारत ने लोन का आईएमएफ में कड़ा विरोध भी किया था.</p>
<p style="text-align: justify;">द एक्सप्रेस ट्रिब्यून, पाकिस्तान के अनुसार वॉशिंगटन में बोर्ड मीटिंग के दौरान लोन को अप्रूवल मिला है, जिसे पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है. पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट को देश के सबसे महत्वपूर्ण इनिशिएटिव में से एक बताया है. पाकिस्तान के लिए इस लिहाज से भी इंटरनेशनल फोर्म्स के अप्रूवल को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि रेको दिक प्रोजेक्ट में प्राइवेट कंपनियों की ओर से 2.5 बिलियन डॉलर के निवेश की भी उम्मीद लगाई जा रही है.</p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार डॉ. तौकीर हसन ने आईएफसी और वर्ल्ड बैंक से लोन पास कराने में अहम भूमिका निभाई है. लोन के लिए वर्ल्ड बैंक में उनकी पैरवी और प्रयासों से पाकिस्तान कर्ज लेने में कामयाब हुआ.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">अप्रैल में आईएफसी ने कहा था कि वह रेको दिक कॉपर-गोल्ड माइनिंग प्रोजेक्ट के लिए 300 मिलियन डॉलर का कर्ज देगा. हालांकि, प्रोजेक्ट के डायरेक्टर टिम क्रिब ने मिनरल्स इंवेस्टमेंट फोरम 2025, में कहा था कि उन्हें आईएफसी से 650 मिलियन डॉलर का ऋण मिल सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">टिम क्रिब को लगता है कि प्रोजेक्ट के लिए वर्ल्ड बैंक से दो बिलियन डॉलर तक का लोन भी मिल सकता है क्योंकि उन्होंने रॉयटर्स को बताया था कि वह परियोजना के लिए अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं से दो बिलियन डॉलर से अधिक के वित्तपोषण की उम्मीद करते हैं. उन्होंने कहा था कि इस संबंध में तीसरी तिमाही की शुरुआत में टर्मशीट पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">परियोजना के लिए बैरिक माइनर्स कई और अंतरराष्ट्रीय फोर्म्स से भी बात कर रही है. टिम क्रिब ने बताया कि अमेरिकी एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक से भी बात चल रही है. टिम क्रिब ने बताया कि यूएस बैंक से 500 मिलियन से 1 बिलियन डॉलर के ऋण और साथ ही 500 मिलियन डॉलर के लोन के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक, एक्सपोर्ट डेवलपमेंट कनाडा और जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोर्पोरेशन से भी बातचीत चल रही है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है रिको दिक प्रोजेक्ट?</strong><br />रेको दिक प्रोजेक्ट बलूचिस्तान के चगाई जिले में स्थित दुनिया के सबसे बड़े अविकसित कॉपर और गोल्ड भंडारों में से एक है. इस कंपनी पर कनेडियन कंपनी बैरिक गोल्ड, पाकिस्तान सरकार और बलूचिस्तान की प्रांतीय सरकार मिलकर काम कर रहे हैं, जिसका पहला चरण साल 2028 में शुरू होने की उम्मीद है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट के अनुसार लोन से रेको दिक माइन के खदान के विकास में सहायता मिलेगी, जिसे दुनिया के सबसे बड़े तांबा-सोना भंडार में से एक बताया जा रहा है, जिससे 70 बिलियन डॉलर का मुक्त नकदी प्रवाह और 90 बिलियन डॉलर का परिचालन नकदी प्रवाह उत्पन्न होने की उम्मीद है.</p>
<p style="text-align: justify;">कनेडियन कंपनी बैरिक के अनुसार रेको दिक प्रोजेक्ट में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बैरिक की और 25-25 प्रतिशत की पाकिस्तान सरकार और बलूचिस्तान सरकार की है.</p>



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