पाकिस्तान ने दे दिया दोस्त चीन को सबसे बड़ा धोखा, बना रहा अपना स्वदेशी फाइटर जेट

पाकिस्तान ने दे दिया दोस्त चीन को सबसे बड़ा धोखा, बना रहा अपना स्वदेशी फाइटर जेट


Pakistan Fighter Program : चीन और तुर्की जैसे देशों पर अपने रक्षा उपकरणों के लिए निर्भर रहने वाला पाकिस्तान अब आत्मनिर्भर होना चाहता है. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अब पाकिस्तान अपनी वायुसेना के लिए स्वदेशी फाइटर जेट को विकसित करने के प्रयास में जुटा है. पाकिस्तान का नया लड़ाकू विमान सिंगल इंजन पर होगा, जिसे 4.5 पीढ़ी के फाइटर प्रोग्राम के तौर पर विकसित करने की योजना है. लेकिन पाकिस्तान की इस योजना में दिलचस्प यह है कि पाकिस्तान के नए फाइटर प्रोग्राम का डिजाइन चीन के मौजूदा JF-17 लड़ाकू विमान से लिया गया मालूम पड़ता है.

IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान अपने नए लड़ाकू विमान में रेड्यूस्ड रडार क्रॉस सेक्शन फीचर, इंफ्रारेड सर्च और ट्रैक (IRST) सिस्टम और एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक स्कैन्ड एरे रडार (AESA) जैसे अपडेट से लैस करने वाला है.

चीन पर निर्भरता कम करने की है कोशिश!

शुरुआती रिपोर्ट में संकेत दिया गया था कि PFX एक डबल इंजन वाला लड़ाकू विमान होगा. हालांकि नए रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का फोकस ऐसे फाइटर प्रोग्राम पर है जो पूरी तरह से स्वदेशी स्तर पर विकसित हो. इसके अलावा इस प्रोग्राम में चीनी तकनीक पर अधिक निर्भरता से बचने की कोशिश भी है. बता दें कि पाकिस्तान के हथियार कार्यक्रम में चीन के प्रति निर्भरता तेजी से बढ़ी है, लेकिन पाकिस्तान अब इसे कम करना चाहता है.

भारत के जैसा आत्मनिर्भर बनने की है महत्वाकांक्षा

पाकिस्तान का यह स्वेदशी फाइटर प्रोग्राम बताता है कि पाकिस्तान की महत्वाकांक्षा अब भारत की तरह आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन को स्थापित करने की है. उल्लेखनीय है कि भारत ने आत्मनिर्भर होकर स्वदेशी रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है. IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान 2035 के बाद फिर से दो इंजन वाले फाइटर जेट के लिए विचार कर सकता है. इसके अलावा पाकिस्तान की भविष्य में पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट को स्वदेशी तौर पर विकसित करने की भी योजना है.

PFX प्रोग्राम के सामने अभी हैं कई बाधाएं

पाकिस्तान के PFX प्रोग्राम प्रोग्राम के सामने अभी कई तरह की बाधाएं है. जिसमें IRST, AESA रडार और स्टील्थ तकनीक जैसी स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का विकास भी शामिल है. क्योंकि पाकिस्तान के पास इन प्रणालियों के उत्पादन का कोई अनुभव नहीं है, ऐसे में पाकिस्तान को अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पर्याप्त निवेश और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों से मदद की जरूरत है.

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