पाकिस्तान पहुंची मलाला यूसुफजई, लड़कियों की शिक्षा को लेकर मुस्लिम नेताओं से कर दी बड़ी मांग

पाकिस्तान पहुंची मलाला यूसुफजई, लड़कियों की शिक्षा को लेकर मुस्लिम नेताओं से कर दी बड़ी मांग


Malala Yousafzai Appeal To Muslim leaders: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने मुस्लिम बहुल देशों के नेताओं से आग्रह किया कि वे अफगान तालिबान की ओर से महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंधों को न मानें और उनका खुलकर विरोध करें. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में आयोजित एक सम्मेलन में मलाला ने तालिबान के महिला विरोधी कदमों की कड़ी निंदा करते हुए वैश्विक एकजुटता का आह्वान किया.

मलाला ने कहा, “तालिबान महिलाओं को इंसान नहीं मानता.” उन्होंने आरोप लगाया कि तालिबान अपने अपराधों को सांस्कृतिक और धार्मिक औचित्य के पीछे छिपाने का प्रयास करता है. 2021 में सत्ता में आने के बाद से, तालिबान ने महिलाओं को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में जाने से रोक दिया है.

सम्मेलन में मलाला का संदेश
मुस्लिम नेताओं से उन्होंने कहा, “आप सच्चा नेतृत्व दिखा सकते हैं.” उन्होंने यह भी जोर दिया कि मुस्लिम दुनिया को तालिबान के महिला विरोधी एजेंडे के खिलाफ एकजुट रुख अपनाना चाहिए. सम्मेलन में उन्होंने महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा की वकालत के लिए बड़े कदम उठाने की अपील की.

अफगानिस्तान में शिक्षा संकट पर चर्चा
यूएनएएमए की प्रमुख रोजा ओटुनबायेवा ने छात्रवृत्ति, ऑनलाइन कार्यक्रमों और अन्य पहलों के माध्यम से अफगान लड़कियों को सहायता देने की आवश्यकता पर बल दिया. संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान की नीतियों को “लैंगिक रंगभेद” करार दिया है. अफगान तालिबान के प्रतिनिधि इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुए.

मलाला के पिता की प्रतिक्रिया
मलाला के पिता, जियाउद्दीन यूसुफजई, ने अफगानिस्तान में शिक्षा संकट को हल करने के लिए मुस्लिम देशों की चुप्पी पर निराशा जताया. उन्होंने मुस्लिम समुदायों से इस संकट पर अधिक ठोस कदम उठाने का आग्रह किया. बता दें कि यह सम्मेलन मुस्लिम वर्ल्ड लीग के सहयोग से आयोजित किया गया था. पाकिस्तान ने इसे मुस्लिम देशों में लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताया. 

तालिबान की नीतियां और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
तालिबान की महिला विरोधी नीतियों के कारण अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और कामकाज से वंचित किया गया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र ने इस स्थिति पर चिंता जताई है. मलाला ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिए वैश्विक नेतृत्व और सहयोग अनिवार्य है.

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