पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग, HC ने जांच के लिए आयोग गठित करने का निर्देश दिया

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग, HC ने जांच के लिए आयोग गठित करने का निर्देश दिया


पाकिस्तान की एक अदालत ने केंद्र सरकार को देश के विवादास्पद ईशनिंदा कानूनों के कथित दुरुपयोग की जांच के लिए 30 दिन में एक जांच आयोग गठित करने का निर्देश दिया है.

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों को लेकर सवाल उठते रहे हैं क्योंकि ऐसे मामलों में अक्सर भीड़ कानूनी प्रक्रिया की परवाह किए बिना लोगों को निशाना बनाती है. इस्लामाबाद हाईकोर्ट (IHC) के जज सरदार एजाज इस्हाक खान ने इन कानूनों के दुरुपयोग की जांच के लिए मंगलवार (15 जुलाई, 2025) को एक जांच आयोग के गठन का आदेश दिया.

सैन्य शासक जियाउल हक ने पैगंबर और कुरान की पवित्रता की रक्षा के लिए 1980 के दशक में इन कानूनों को और कठोर बना दिया था. अदालत ने यह आदेश ईशनिंदा की कई शिकायतों से जुड़े एक मामले पर सुनवाई के दौरान पारित किया.

आरोप है कि संघीय जांच एजेंसी (FIA) के कुछ अधिकारियों, वकीलों और अन्य व्यक्तियों ने निर्दोष लोगों को ईशनिंदा मामले में फंसाने की साजिश रची और बाद में कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर पैसे ऐंठने के लिए इसका इस्तेमाल किया.

आरोप है कि जिन लोगों ने पैसे देने से इनकार कर दिया उन पर कथित तौर पर ईशनिंदा कानूनों के तहत मुकदमा चलाया गया. पिछले कुछ सालों में, ईशनिंदा के आरोपी कई व्यक्तियों की धार्मिक चरमपंथियों ने हत्या कर दी थी.

यह याचिका पहली बार पिछले साल सितंबर में दायर की गई थी. अदालत ने संघीय सरकार को जांच आयोग गठित करने का निर्देश देने से पहले कम से कम 42 बार सुनवाई की. जस्टिस खान ने कहा कि आयोग को चार महीने में जांच पूरी करनी होगी, हालांकि यदि आवश्यक हो तो वह अदालत से समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध कर सकता है.

थिंक-टैंक सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (CRSS) के आंकड़ों के अनुसार 1947 से 2021 के बीच 701 ईशनिंदा के मामले दर्ज किए गए, जिनमें 1,308 पुरुष और 107 महिलाओं समेत 1,415 लोग आरोपी पाए गए. इन मामलों में कम से कम 89 लोग मारे गए जबकि 30 घायल हुए. मारे गए लोगों में 72 पुरुष और 17 महिलाएं थीं.

आंकड़ों से पता चलता है कि जियाउल हक की ओर से 1986 में पेश किए गए संशोधनों के बाद ईशनिंदा को मृत्युदंड योग्य अपराध बनाए जाने पर मामलों में तेजी से वृद्धि हुई. इन संशोधनों से पहले, केवल 11 मामले दर्ज किए गए थे और तीन लोगों की हत्या हुई थी.



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