भारतीय विदेश सेवा के पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा ने नेपाल की मौजूदा स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि नेपाल आज बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई जैसी बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है और इसका सबसे बड़ा असर युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है.
वोहरा ने कहा कि नेपाल में बेरोजगारी दर 60 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. उन्होंने भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में दवा और बेड नहीं मिलते, सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए घूस देनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि नेपाल की कृषि व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित है और लगातार आने वाले भूकंपों ने हालात और बिगाड़े हैं. उन्होंने कहा, ‘भारत हमेशा सबसे पहले मदद करता है, लेकिन कई बार वहां राहत सामग्री को बेचते हुए भी देखा गया.’
नेपाल को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना मकसद
वोहरा ने चीन की भूमिका पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘चीन को फर्क नहीं पड़ता कि नेपाल में कितने लोग मरते हैं या भूखे रहते हैं. उसका मकसद सिर्फ नेपाल को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना है.’ पूर्व राजनयिक ने सीधे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘यह सोशल मीडिया का जमाना है. आपने सोशल मीडिया बंद कर दिया, इससे लोग और भड़केंगे. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी कह दिया है कि हम बच्चों पर गोली नहीं चलाएंगे. ओली साहब को अब नेपाल फर्स्ट सोचना चाहिए, न कि केवल अपनी कुर्सी.’
2015 के नेपाल भूकंप की दिलाई याद
वोहरा ने याद दिलाया कि 2015 के भूकंप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ 15 मिनट में राहत सामग्री भिजवाने का फैसला लिया था. उस समय नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा था कि नेपाल भाग्यशाली है कि भारत उसका पड़ोसी है.
उन्होंने नेपाली जनता से अपील की है कि भारत उनके साथ खड़ा है और उनका फायदा नहीं उठाना चाहता. उन्होंने कहा, ‘आप चीन पर भरोसा मत कीजिए, वह सिर्फ आपका इस्तेमाल करेगा. भारत नौजवानों के भविष्य के लिए स्टार्टअप और विकास की बात करता है, जबकि चीन पहले गला काटता है और बाद में पूछता है यह कौन है.’