पीएम मोदी के अमेरिका दौर में बिग डील की तैयारी, जानिए क्या होने वाला है

पीएम मोदी के अमेरिका दौर में बिग डील की तैयारी, जानिए क्या होने वाला है


Indo-US Deal: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला अमेरिका दौरा 12 फरवरी से शुरू होने जा रहा है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरे में भारत और अमेरिका के बीच बड़ी एनर्जी डील होने के संकेत मिल रहे हैं. अगर यह डील परवान चढ़ी को भारत की एनर्जी क्राइसिस के काफी हद तक दूर हो जाने की संभावना है. भारत की ओर से अमेरिका से अधिक एनर्जी इंपोर्ट की तैयारी की जा रही है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बातचीत में इस पर मुख्य रूप से चर्चा होने वाली है. रूस से तेल सौदों की कमी को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका भारत से ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में और नजदीक आने की दिशा में बात आगे बढ़ा सकता है.

एलएनजी इंपोर्ट बढ़ाने के लिए हो सकता है समझौता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे में भारत अमेरिका से एलएनजी इंपोर्ट बढ़ाने के लिए डील पर बातचीत कर सकता है. हालांकि भारत और अमेरिका के बीच काफी दूरी है. इस कारण इस डील में कांपीटिटिव प्राइसिंग और हायर शिपिंग कॉस्ट को लेकर काफी चुनौती आ सकती है. भारत के लिए इस इंपोर्ट के महंगा होने की स्थिति में दोनों देशों को लागत कम करने की संभावना के बारे में बैठकर बातचीत करनी होगी. भारत में एलएनजी की काफी कमी है. अमेरिका में यह प्रचुर मात्रा में है. इसके बावजूद अमेरिका से भारत काफी कम मात्रा में एलएनजी इंपोर्ट करता है. इसका एक बडा कारण अमेरिका का हेनरी हब बेंचमार्क है. जो इंडियन बायर्स के लिए काफी वोलाटाइल है. भारत और अमेरिका के बीच लॉन्ग टर्म एनर्जी डील से इसका समाधान निकल सकता है. इन बाधाओं के बावजूद दोनों देशों में बीच का रास्ता निकालने के लिए स्ट्रेटजिक बातचीत का दौर जारी है. पीएम मोदी के यूएस दौरे के दौरान इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है.

एटोमिक एनर्जी में सहयोग की भी हो सकती है बातचीत

भारत और अमेरिका के बीच नॉन मिलिट्री एटोमिक एनर्जी एलायंस पर भी बातचीत हो सकती है. भारत अपने परमाणु दायित्व कानून में संशोधन करने और परमाणु ऊर्जा मिशन स्थापित करने संबंधी योजना की घोषणा कर चुका है. वाशिंगटन की ओर से भी असैन्य परमाणु क्षेत्र में भारत-अमेरिका सहयोग की बात कही गई थी. इसके बाद अमेरिका ने इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र (आईजीसीएआर), भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (बार्क) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटा दिए थे.

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