‘पैसा बोलता है’..अपनी मर्जी से इतनी कंपनियां दे रहीं रिश्वत, रिश्वतखोरी पर चौंकाने वाला सच

‘पैसा बोलता है’..अपनी मर्जी से इतनी कंपनियां दे रहीं रिश्वत, रिश्वतखोरी पर चौंकाने वाला सच


Bribery: देशभर के 159 जिलों में लगभग 66 फीसदी व्यापारिक कंपनियों ने ये माना है कि उन्होंने पिछले 12 महीनों में रिश्वत दी है. ऑनलाइन मंच लोकलक्रिकल्स की रविवार को जारी रिपोर्ट में यह कहा गया है. सर्वेक्षण में 18,000 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं, जिसमें पाया गया कि 54 फीसदी को रिश्वत देने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 46 फीसदी ने प्रोसेस में तेजी लाने के लिए स्वेच्छा से भुगतान किया.

सर्वे से सामने आया काला सच 

कई बिजनेस फर्म ने पिछले 12 महीनों में सप्लायर के रूप में एलिजिबिलिटी हासिल करने, कोटेशन और ऑर्डर सेफ करने और पेमेंट कलेक्ट करने के लिए अलग-अलग तरह की संस्थाओं को रिश्वत देने की बात स्वीकार की है. यह सर्वेक्षण 22 मई से 30 नवंबर 2024 के बीच किया गया था. सर्वेक्षण में भाग लेने वाली कमर्शियल फर्मों ने कहा कि 75 फीसदी रिश्वत कानूनी, माप विज्ञान, फूड, मेडिसिन, हेल्थकेयर आदि विभागों के अधिकारियों को दी गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 12 महीनों में जिन व्यवसायों ने रिश्वत दी, उनमें से 54 फीसदी को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 46 फीसदी ने समय पर काम होने के लिए भुगतान किया. इस तरह की रिश्वत जबरन वसूली के समान है, जहां सरकारी एजेंसियों के साथ काम करते समय परमिट, सप्लायर योग्यता, फाइलें, ऑर्डर, पेमेंट नियमित रूप से रोके जाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, कई जगहों पर कम्प्यूटराइजेशन के बावजूद और सीसीटीवी से दूर बंद दरवाजों के पीछे व्यवसायों की तरफ से रिश्वत देना जारी है.

किन मामलों में कंपनियों को रिश्वत देना आम बात लगती है- जानें

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई कंपनियां नाम न छापने की शर्त पर बताती हैं कि सरकारी विभागों से परमिट या अनुपालन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रिश्वत देना आम बात है. प्राधिकरण लाइसेंस की डुप्लिकेट प्रति या संपत्ति से जुड़े किसी भी मामले में रिश्वत देना आम बात है. सर्वेक्षण में शामिल 66 फीसदी व्यवसायों ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत दी है.

कितने फीसदी बिजनेस ने कभी नहीं दी रिश्वत

सर्वेक्षण में शामिल केवल 16 फीसदी बिजनेस ने दावा किया कि वे हमेशा रिश्वत दिए बिना काम करवाने में कामयाब रहे हैं और 19 फीसदी ने कहा कि उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ी है

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