‘बंगाल में हिंदू बने शरणार्थी’, मुर्शिदाबाद हिंसा पर भड़के मिथुन चक्रवर्ती, उठाई राष्ट्रपति शासन

‘बंगाल में हिंदू बने शरणार्थी’, मुर्शिदाबाद हिंसा पर भड़के मिथुन चक्रवर्ती, उठाई राष्ट्रपति शासन


Mithun Chakraborty on Bengal Violence: वक्फ संशोधन अधिनियम पास होने के बाद से पश्चिम बंगाल में हालात काफी बिगड़ गए हैं. मुर्शिदाबाद और दूसरे जिलों से हिंसा की डरावनी घटनाएं सामने आ रही हैं.

इसी बीच, बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती ने कहा है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से अपील की है कि पश्चिम बंगाल में 2 महीने के लिए सेना भेजी जाए. मिथुन का कहना है कि जब तक सेना नहीं तैनात होती, तब तक राज्य में निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं होगा.

मिथुन चक्रवर्ती ने उठाई राष्ट्रपति शासन की मांग

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि उन्होंने कई बार केंद्र सरकार से पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की अपील की है और अब एक बार फिर वही अपील कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “अगर राष्ट्रपति शासन नहीं भी लगाया जाता तो कम से कम चुनाव के समय 2 महीने के लिए सेना को पश्चिम बंगाल में तैनात करना जरूरी है.”

मिथुन चक्रवर्ती ने बताया पश्चिम बंगाल में सेना क्यों जरूरी?

मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव की तारीख घोषित होने से लेकर नतीजे आने के एक महीने बाद तक सेना को तैनात किया जाना चाहिए. उनके मुताबिक सिर्फ सेना की मौजूदगी में ही वहां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सकते हैं.

मिथुन ने यह भी कहा कि अगर चुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में आते हैं तो राज्य में हिंसा और ज्यादा बढ़ सकती है. ऐसे हालात में लोगों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना की मौजूदगी जरूरी है.

‘बंगाल में हिंदू बने शरणार्थी’

बीजेपी नेता और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने हिंसा प्रभावित इलाकों में जाने को लेकर कहा, “मैं जाना चाहता हूं, लेकिन मुझे अभी तक इजाज़त नहीं मिली है.” पश्चिम बंगाल में हिंदुओं के शरणार्थी बनने के सवाल पर मिथुन ने कहा, “बिलकुल सही है, वे अब शरणार्थी बन गए हैं क्योंकि हर जगह गुंडागर्दी हो रही है.पूरा दबदबा बना लिया गया है. और हम ऐसा नहीं चाहते. हम दंगे नहीं चाहते, कोई हिंसा नहीं चाहते, कुछ भी नहीं.”

8 अप्रैल से बिगड़ गए थे हालात

संसद में वक्फ अधिनियम पास होने के बाद 8 अप्रैल से पश्चिम बंगाल में हालात बिगड़ने लगे. 8 से 12 अप्रैल के बीच शमशेरगंज, सूती, धुलियान और जंगीपुर जैसे इलाकों में भारी पथराव और आगजनी की कई घटनाएं हुईं. इन हिंसक घटनाओं में 3 लोगों की जान चली गई.



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