बांग्लादेश में बिस्वा इज्तेमा का हो रहा 58वां आयोजन, भारत के ये मौलाना भी होंगे शामिल

बांग्लादेश में बिस्वा इज्तेमा का हो रहा 58वां आयोजन, भारत के ये मौलाना भी होंगे शामिल


Biswa Ijtema in Bangladesh : बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और फैली अशांति के बीच मुसलमानों के सबसे बड़े इज्तेमों (इस्लामिक सम्मेलन) में से एक बिस्वा इज्तेमा का आयोजन होने जा रहा है. जिसका पहला चरण कल यानी शुक्रवार (31 जनवरी, 2025) को बांग्लादेश की तुराग नदी के तट पर शुरू होने वाला है. वहीं, बांग्लादेश में होने वाले बिस्वा इज्तेमे में भारत के जाने-माने मौलाना साद कांधलवी भी शामिल होने वाले हैं.

पिछले साल अनुयायियों के बीच हो गई थी झड़प

पिछले साल दिसंबर में इज्तेमे ग्राउंड के नियंत्रण को लेकर भारतीय मौलाना साद और बांग्लादेश के मौलाना जुबैर अहमद के अनुयायियों के बीच झड़प हो गई थी. झड़प के बाद दोनों गुटों के कम से कम चार लोगों की मौत हो गई थी और 50 लोग घायल हो गए थे.

दो चरण में बिस्वा इज्तेमा का किया जाएगा आयोजन

पिछले साल हुई झड़प को ध्यान में रखते हुए इस बार दोनों गुटों की सहमति के बाद इस बिस्वा इज्तेमे को दो चरणों में बांट दिया गया है. जिसका पहला चरण 31 जनवरी, 2025 से 5 फरवरी तक होगा, इसमें मौलाना जुबैर अहमद के अनुयायी हिस्सा लेंगे. वहीं, दूसरा चरण का आयोजन 14 से 16 फरवरी, 2025 तक होगा, जिसमें भारतीय मौलाना साद के अनुयायी शामिल होंगे.

पहली बार होंगी दो मुनाजात

ऐसा पहली बार हो रहा है कि बिस्वा इज्तेमे में दो मुनाजात (समापन प्रार्थना) की जाएंगी. दरअसल, बांग्लादेश में मौलाना साद जो तब्लीगी जमात के अमीर हैं और मौलाना जुबैर अहमद जिनकी जमात को तब्लीगी जमात बांग्लादेश (जुबैर गुट) के नाम से जाना जाता है. दोनों मौलाना के बड़ी संख्या में अनुयायी और समर्थकों के बीच पिछले साल दिसंबर में इज्तेमे के ग्राउंड को लेकर झड़प हो गई थी, जिसके बाद इज्तेमे के दो चरण के जरिए हल निकाला गया.

इज्तेमे को लेकर कड़ी कर दी गई कानून व्यवस्था

इज्तेमे को लेकर कानून व्यवस्था को कड़ी कर दी गई है. पुलिस महानिरीक्षक बहारूल आलम ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 58वां बिस्वा इज्तेमा शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित होगा. उन्होंने आश्वासन दिया है कि वह किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं.

भारत से रिश्तों को बेहतर कर सकती है मौलाना साद की यात्रा

भारतीय मौलाना साद का पूरे बांग्लादेश में काफी अच्छा प्रभाव है. बांग्लादेश यात्रा पर जाने के बाद उनकी मुलाकात बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कई बड़े अधिकारियों और नेताओं से भी हो सकती है. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह भारत और बांग्लादेश के रिश्तों की खटास को इस यात्रा से कम कर सकते हैं.

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