<p style="text-align: justify;">दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में मकानों को गिराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है. कोर्ट अगले सप्ताह याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है. 40 याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है कि उनका पक्ष सुने बिना यह प्रक्रिया शुरू की गई है. अब 15 दिन में मकान खाली करने का नोटिस चिपका दिया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;">याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया है कि वह खसरा नंबर 271 और 279 में रहते हैं. उनके निर्माण बहुत पुराने हैं. उनके पास सभी वैध दस्तावेज भी हैं. उनकी कॉलोनी 2019 की पीएम उदय (प्रधानमंत्री अनऑथोराइज्ड कॉलोनीज इन दिल्ली आवास अधिकार योजना) के तहत नियमित किए जाने के योग्य है. 2008 में दिल्ली सरकार कॉलोनी को प्रोविजिनल रेग्युलराइजेशन सर्टिफिकेट भी दे चुकी है.</p>
<p style="text-align: justify;">वकील अदील अहमद के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उनके इलाके में अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया. यह आदेश दिल्ली डेवलपमेंट ऑथोरिटी (DDA) के खिलाफ लंबित एक अवमानना याचिका पर आया है. आदेश से प्रभावित लोगों को कोर्ट में अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला. कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा था कि कार्रवाई से पहले लोगों को कम से कम 15 दिन का नोटिस दिया जाए. डीडीए ने उचित तरीके से नोटिस देने की बजाय 26 मई को उसे मकानों पर चिपका दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;">गुरुवार, 29 मई को यह मामला चीफ जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई की अध्यक्ष वाली बेंच के सामने रखा गया. याचिकाकर्ता के वकील ने जल्द सुनवाई का अनुरोध किया. शुरू में चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट जाना चाहिए. वकील ने बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश से प्रभावित हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दे दिया.</p>
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बाटला हाउस इलाके में बुलडोजर एक्शन से आशंकित लोगों की याचिका पर अगले हफ्ते होगी SC में सुनवाई
