बाहरी आवाजों पर…, इंग्लैंड सीरीज से पहले सचिन तेंदुलकर ने शुभमन गिल को दिया गुरुमंत्र; जानें

बाहरी आवाजों पर…, इंग्लैंड सीरीज से पहले सचिन तेंदुलकर ने शुभमन गिल को दिया गुरुमंत्र; जानें


Sachin Tendulkar on Shubman Gill: कल यानी शुक्रवार से भारत के नए टेस्ट कप्तान शुभमन गिल की अग्निपरीक्षा शुरू होगी. 20 जून से भारत और इंग्लैंड के बीच लीड्स में पहला टेस्ट मैच खेला जाएगा. पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के आगाज से पहले क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को नए कप्तान शुभमन गिल को गुरुमंत्र दिया है. 

सचिन तेंदुलकर का मानना है कि भारतीय क्रिकेट में बदलाव के कठिन दौर में टीम की कमान संभालने जा रहे शुभमन गिल को उचित समय और सहयोग दिया जाना चाहिये. उन्होंने साथ ही नए कप्तान को सलाह दी कि ड्रेसिंग रूम से बाहर की टिप्पणियों पर सोचे बिना वह अपनी रणनीति पर फोकस रखें. 

25 साल के शुभमन गिल इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत के कप्तान होंगे. बता दें कि भारत और इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के साथ ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के चौथे चक्र की शुरुआत होगी. वहीं भारतीय टीम अपने तीन सबसे अनुभवी खिलाड़ियों विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन के बिना उतरेगी जो टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं. 

हेडिंग्ले, लीड्स में पहले टेस्ट से पूर्व न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिये इंटरव्यू में सचिन तेंदुलकर ने कहा, “मुझे लगता है कि उसे (गिल को) समय देना होगा. उसे सहयोग देने की भी जरूरत है. मुझे लगता है कि कई तरह के सुझाव सामने आयेंगे कि उसे ऐसा करना चाहिये या वैसा करना चाहिये. इस तरह की बातें होंगी, लेकिन उसे टीम की रणनीति पर फोकस करना चाहिये. ड्रेसिंग रूम में क्या बात हो रही है और क्या रणनीति उसके अनुरूप है. 

तेंदुलकर ने आगे कहा, जो भी फैसले हो रहे हैं, वे टीम के हित में हैं या नहीं और उसे किस पर ध्यान देना चाहिये. उसे बाहरी आवाजों पर ध्यान नहीं देना चाहिये, जिसमें लोग कहेंगे कि वह अधिक आक्रामक है या अधिक रक्षात्मक या इसी तरह की बातें. लोग राय देते रहेंगे. 

उन्होंने कहा, आखिर में मायने यही रखता है कि ड्रेसिंग रूम में क्या हो रहा है और टीम के हित में वह क्या कर रहा है. यही अहम है, बाकी कुछ नहीं.

इंग्लैंड में 1990 से 2011 के बीच में पांच टेस्ट सीरीज खेल चुके तेंदुलकर का मानना है कि बल्लेबाजों को हालात के अनुरूप खुद को ढालना होगा. उन्होंने कहा, आपको हालात को भांपकर उसके अनुरूप बल्लेबाजी करनी होगी. जब आप हालात को समझते हैं तो मानसिक तौर पर उस तरह से अपनी रणनीति बना सकते हैं. एकतरफा ट्रैफिक नहीं हो सकता कि मेरा खेल ऐसा है और मैं तो ऐसे ही खेलूंगा. 

तेंदुलकर ने कहा, बल्लेबाजों को लचीला रवैया रखना होगा. ऐसा नहीं करने पर भारी खामियाजा उठाना पड़ सकता है. आपको पता होना चाहिये कि कब आक्रामक खेलना है और कब रक्षात्मक. 

चुनौतियों के बावजूद भारत के पास काफी सकारात्मक पहलू हैं. मसलन करूण नायर और साई सुदर्शन जैसे बल्लेबाज भले ही इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट नहीं खेले हों, लेकिन नॉर्थम्पटनशर और सर्रे के लिये काउंटी क्रिकेट खेल चुके हैं.

तेंदुलकर ने कहा, ये सभी इंग्लैंड में खेल चुके हैं. भले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला हो लेकिन इंग्लैंड में क्रिकेट खेला है. वे यहां की परिस्थितियों से अनभिज्ञ नहीं हैं. वे दक्षिण अफ्रीका में, न्यूजीलैंड में, ऑस्ट्रेलिया में खेल चुके हैं. इन सभी अनुभवों से काफी कुछ सीखने को मिलता है. इन सभी अनुभवों को मिलाकर अभ्यास करेंगे तो परिणाम अच्छा ही होगा.

यह पूछने पर कि क्या दो स्पिनरों को उतारने की रणनीति सही होगी, तेंदुलकर ने कहा, यह पिच पर निर्भर करेगा. पिच पर घास है या नहीं. अगर घास नहीं है तो दो स्पिनरों को उतारा जा सकता है. 



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