बिना OTP और लिंक के भी हो रही साइबर ठगी! धोखेबाजों ने निकाला ये नया तरीका, जानें बचने के उपाय

बिना OTP और लिंक के भी हो रही साइबर ठगी! धोखेबाजों ने निकाला ये नया तरीका, जानें बचने के उपाय


दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, इन घटनाओं में न तो पीड़ितों ने किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक किया और न ही अपनी बैंकिंग जानकारी साझा की फिर भी उनके खातों से बड़ी रकम निकल गई. साइबर पुलिस के लिए भी ये मामले चुनौती बन गए हैं क्योंकि अब तक जो फ्रॉड होते थे, वे किसी न किसी एक्टिव ट्रिगर जैसे कॉल, मैसेज या OTP से जुड़ते थे. लेकिन ये नए मामले एकदम साइलेंट फ्रॉड की तरह हैं, जहां यूजर को भनक तक नहीं लगती.

प्रयागराज के कर्नलगंज में रहने वाले अरुण कुमार के अकाउंट से करीब ढाई लाख रुपये दो बार में कट गए. उन्हें न OTP मिला, न कोई अलर्ट. जब खुद पासबुक अपडेट करवाई तब जाकर उन्हें जानकारी मिली.

प्रयागराज के कर्नलगंज में रहने वाले अरुण कुमार के अकाउंट से करीब ढाई लाख रुपये दो बार में कट गए. उन्हें न OTP मिला, न कोई अलर्ट. जब खुद पासबुक अपडेट करवाई तब जाकर उन्हें जानकारी मिली.

इसी तरह कालिंदीपुरम के अशोक कुमार सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ. उनके खाते से ₹2.43 लाख गायब हो गए और उन्हें कोई मैसेज तक नहीं मिला. उन्होंने जब पुलिस का रुख किया, तो वहां से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

इसी तरह कालिंदीपुरम के अशोक कुमार सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ. उनके खाते से ₹2.43 लाख गायब हो गए और उन्हें कोई मैसेज तक नहीं मिला. उन्होंने जब पुलिस का रुख किया, तो वहां से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

सिर्फ एक हफ्ते में ऐसे 11 मामले सामने आने के बाद खासकर बुज़ुर्गों और महिलाओं के बीच डर का माहौल है. लोग अब मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल ट्रांजैक्शन को लेकर असहज हो रहे हैं. ये घटनाएं न सिर्फ बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा पर सवाल उठाती हैं बल्कि बैंकों की लापरवाही भी सामने लाती हैं, क्योंकि कई पीड़ितों का कहना है कि उन्हें ट्रांजैक्शन अलर्ट बहुत देर से मिला या फिर कोई अलर्ट ही नहीं आया.

सिर्फ एक हफ्ते में ऐसे 11 मामले सामने आने के बाद खासकर बुज़ुर्गों और महिलाओं के बीच डर का माहौल है. लोग अब मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल ट्रांजैक्शन को लेकर असहज हो रहे हैं. ये घटनाएं न सिर्फ बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा पर सवाल उठाती हैं बल्कि बैंकों की लापरवाही भी सामने लाती हैं, क्योंकि कई पीड़ितों का कहना है कि उन्हें ट्रांजैक्शन अलर्ट बहुत देर से मिला या फिर कोई अलर्ट ही नहीं आया.

इस तरह की धोखाधड़ी में अपराधी गूगल प्ले स्टोर पर असली जैसे दिखने वाले फर्जी ऐप्स का सहारा लेते हैं. इन्हें डाउनलोड करते ही फोन में 'साइलेंट मैलवेयर' घुस जाता है. इसके बाद सिम क्लोनिंग, नेटवर्क हैकिंग और पब्लिक वाई-फाई जैसे रास्तों से यूजर के बैंकिंग डिटेल्स चुरा लिए जाते हैं. चूंकि यह सब चुपचाप होता है, इसलिए यूजर को तब तक पता नहीं चलता जब तक नुकसान हो नहीं जाता.

इस तरह की धोखाधड़ी में अपराधी गूगल प्ले स्टोर पर असली जैसे दिखने वाले फर्जी ऐप्स का सहारा लेते हैं. इन्हें डाउनलोड करते ही फोन में ‘साइलेंट मैलवेयर’ घुस जाता है. इसके बाद सिम क्लोनिंग, नेटवर्क हैकिंग और पब्लिक वाई-फाई जैसे रास्तों से यूजर के बैंकिंग डिटेल्स चुरा लिए जाते हैं. चूंकि यह सब चुपचाप होता है, इसलिए यूजर को तब तक पता नहीं चलता जब तक नुकसान हो नहीं जाता.

साइबर सेल के अधिकारी विनोद कुमार की मानें तो लोगों को खुद सतर्क रहना होगा. फोन में सिर्फ ज़रूरी और आधिकारिक ऐप्स ही रखें, खासकर उस डिवाइस में जिसमें बैंकिंग से जुड़ी जानकारियां हों. किसी भी अनजान लिंक, फर्जी ऐप या सार्वजनिक वाई-फाई से बचें. OTP, UPI PIN या पासवर्ड किसी के साथ साझा न करें. यदि आप किसी साइबर अपराध का शिकार बनते हैं, तो तुरंत 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें.

साइबर सेल के अधिकारी विनोद कुमार की मानें तो लोगों को खुद सतर्क रहना होगा. फोन में सिर्फ ज़रूरी और आधिकारिक ऐप्स ही रखें, खासकर उस डिवाइस में जिसमें बैंकिंग से जुड़ी जानकारियां हों. किसी भी अनजान लिंक, फर्जी ऐप या सार्वजनिक वाई-फाई से बचें. OTP, UPI PIN या पासवर्ड किसी के साथ साझा न करें. यदि आप किसी साइबर अपराध का शिकार बनते हैं, तो तुरंत 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें.

Published at : 13 Jun 2025 11:53 AM (IST)

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