Bihar Bitumen Scam: सीबीआई की विशेष अदालत ने बिहार सरकार में सड़क निर्माण विभाग के तत्कालीन मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन सहित पांच दोषियों को तीन साल की सजा और 32 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. इस घोटाले में दोषी ठहराए गए अन्य आरोपियों में मोहम्मद शहाबुद्दीन बैग, अशोक अग्रवाल, पवन कुमार अग्रवाल और विजय कुमार सिन्हा शामिल हैं.
क्या है मामला?
बिहार में बिटुमेन घोटाले का यह मामला 1996 का है. उस समय बिहार सरकार ने हाजीपुर-हजारीबाग सड़क निर्माण के लिए हल्दिया से हजारीबाग तक बिटुमेन (सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ) लाने के आदेश दिए थे लेकिन जांच में सामने आया कि बिटुमेन कभी पहुंचा ही नहीं. ट्रांसपोर्टरों ने हल्दिया से बिटुमेन उठाकर कोलकाता में खुले बाजार में बेच दिया और सरकार से झूठे परिवहन बिलों के जरिए पैसा वसूल लिया.
कैसे हुई सीबीआई जांच ?
यह मामला 7 अक्टूबर 1996 को हजारीबाग सदर थाने में दर्ज हुआ था. पटना हाईकोर्ट ने 20 फरवरी 1997 को इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी, जिसके बाद 6 मई 1997 को सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की. जांच में पाया गया कि तत्कालीन मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया.
चार्जशीट और कोर्ट का फैसला
सीबीआई ने इस मामले में 31 मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल की, जिसमें खुलासा हुआ कि बिहार सरकार को 27.6 लाख रुपये का नुकसान हुआ जबकि आरोपी इस राशि से व्यक्तिगत रूप से लाभान्वित हुए. कोर्ट ने सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को दोषी ठहराया और तीन साल की कठोर कैद (RI) की सजा सुनाई.
बिहार में घोटालों का लंबा इतिहास
बिहार में इससे पहले चारा घोटाला (1990 के दशक) का सामने आ चुका है. बिटुमेन घोटाला भी उसी दौर का एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला था, जिसमें सरकारी धन का दुरुपयोग कर ट्रांसपोर्टरों और अधिकारियों ने भारी हेराफेरी की.
सीबीआई की सख्ती
सीबीआई पिछले कुछ वर्षों से भ्रष्टाचार और सरकारी धन की हेराफेरी के मामलों में सख्त कार्रवाई कर रही है. इस फैसले के बाद साफ संकेत है कि भ्रष्टाचार करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो.
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