Bihar Voter List Revision: बिहार में चुनाव आयोग के मतदाता सूची में संशोधन को विपक्षी पार्टियों ने मनमाना और असंवैधानिक बताया है. इसे लेकर उनकी तरफ से दायर याचिकाओं पर गुरुवार (10 जुलाई, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. चुनाव आयोग के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), योगेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और कुछ अन्य राजनीतिक दल भी शामिल हैं.
बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. भारत में पहले भी मतदाता सूची में सामान्य संशोधन किए जा चुके हैं. हालांकि, महुआ मोइत्रा और अन्य लोगों का मानना है कि यह एसआईआर जैसा कि अधिसूचित किया गया है, देश में पहली बार किया जा रहा है, जहां सभी मतदाताओं को फिर से अपनी पात्रता साबित करने के लिए कहा जा रहा है.
विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) क्या है?
निर्वाचन आयोग (ईसी) ने 24 जून को मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा की. इसका घोषित उद्देश्य सभी पात्र मतदाताओं को शामिल करना और सभी अपात्र मतदाताओं को हटाना है. आयोग ने इस प्रक्रिया को तेज़ी से हो रहे शहरीकरण और प्रवासन, हाल ही में 18 वर्ष के हुए या पहले पंजीकरण नहीं करा सके लोगों के जुड़ने और मौतों की कम रिपोर्टिंग का हवाला देते हुए उचित ठहराया है. इसमें विदेशी अवैध प्रवासियों के मतदाता बनने की बात भी कही गई है, जिन्हें हटाया जाना ज़रूरी है.
विपक्षी पार्टियों का क्या है आरोप ?
इस मामले को लेकर विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि इससे कुछ दस्तावेजों के अभाव में बड़ी संख्या में पात्र लोग सूची से बाहर हो सकते हैं. निर्वाचन आयोग का लक्ष्य 1 अगस्त तक मतदाता सूची का मसौदा तैयार करना है, जिसके बाद आपत्तियां और जांच की जाएगी. चुनाव आयोग ने दावा किया है कि वर्तमान 7.9 प्रतिशत मतदाताओं में से 57 प्रतिशत से अधिक ने नए गणना फार्म जमा कर दिए हैं, जिनकी अब जांच की जाएगी.
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