जम्मू कश्मीर के पहलगाम में (22 अप्रैल, 2025) को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर न सिर्फ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया बल्कि पाकिस्तानी आर्मी को भी उसकी औकात दिखाई. भारतीय सैन्य बलों और भारत के रक्षा सिस्टम के आगे चीन और तुर्किए के हथियार भी फिसड्डी साबित हुए. इसके बाद से दुनिया के कई देश न सिर्फ भारत के फैन हो गए हैं बल्कि उनमें भारत से मिसाइल और अन्य युद्ध सामग्री खरीदने की होड़ मच गई है.
भारत के स्वदेशी हथियारों की दुनिया में डिमांड बढ़ गई है. ऐसे में आर्मेनिया जो पहले से ही भारतीय हथियार खरीदता रहा है, उसके कई टॉप मिलिट्री ऑफिसर हथियार समझौते करने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं. इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर्नल म्हेर इस्रायेल्यान कर रहे हैं.
तुर्किए के हथियारों के दम पर उछल रहा अजरबैजान
रिपोर्ट के मुकाबिक उनका मकसद भारत में विकसित स्वदेशी डिफेंस सिस्टम जैसे AK-203 असॉल्ट राइफल, अत्याधुनिक फ्रंटलाइन सेंसर और स्मार्ट निगरानी सिस्टम की टेक्नोलॉजिक क्षमताओं को जानना है. आर्मेनिया और अजरबैजान सालों से संघर्ष में हैं और अजरबैजान के साथ तुर्किए लगातार खड़ा रहता है. अजरबैजान तुर्किए के हथियारों के दम पर आर्मेनिया से लड़ता है.
भारत से क्या खरीद रहा आर्मेनिया ?
आंकड़ों को देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में भारत और आर्मेनिया के बीच रक्षा व्यापार ने एक नया मुकाम हासिल किया है. 2020 से लेकर अब तक आर्मेनिया ने भारत से करीब 2 अरब डॉलर से ज्यादा के हथियार सौदे किए हैं. आर्मेनिया ने पिछले कुछ सालों में पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) खरीदा है, जो दुश्मन के ठिकानों पर तेजी से हमला करने में सक्षम है.
इसके अलावा आर्मेनिया ने भारत से आकाश एयर डिफेंस सिस्टम खरीदे हैं, जो कम ऊंचाई पर आने वाली मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट कर सकता है. भारत अभी आर्मेनिया को आकाश-1S एयर डिफेंस सिस्टम की दूसरी खेप सौंप रहा है. यह 2022 में हुए 720 मिलियन डॉलर के सौदे का हिस्सा है, जिसके तहत आर्मेनिया ने 15 आकाश सिस्टम के लिए भारत से डील की थी और वो इस सिस्टम का पहला अंतरराष्ट्रीय खरीदार बन गया. पहली बैटरी नवंबर 2024 में डिलीवर हुई और दूसरी बैटरी जुलाई 2025 के बाद डिलीवर की जाएगी.
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