Power Generation In India: ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते भारत पिछले पांच साल के दौरान बिजली प्रोडक्शन के मामले में दुनिया का तीसरा देश बन गया है. इस मामले में अमेरिका और चीन के बाद भारत ने अपनी जगह बनाई है. इस बात की तस्दीक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी यानी आईईए की रिपोर्ट करती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बिजली की मांग तेजी के साथ बढ़ती जा रही है. इसके कई कारण हैं, जैसे- एसी और अन्य घरेलू उपकरणों का उपयोग में बेतहाशा इजाफा, वाणिज्यिक एवं आवासीय स्थानों का विस्तार और उद्योगों में इसकी बढ़ती मांग.
क्यों बढ़ी बिजली की मांग?
आईईए की रिपोर्ट में ये बताया गया है कि बिजली की इन बढ़ती मांगों की वजह से भारत का झुकाव अब अक्षय ऊर्जा की तरफ हुआ है. यही वजह है कि स्वच्छ ऊर्जा खासतौर से सौर फोटोवोल्टि प्रोजेक्ट में बड़े स्तर पर निवेश किया गया है.
पिछले पांच साल के दौरान गैर-जीवाश्म ऊर्जा परियोजनाओं में किए गए कुल निवेश में करीब आधे से ज्यादा निवेश पीवी यानी सौर फोटोवोल्टिक में किया गया है. यानी बिजली क्षेत्र में किए गए कुल निवेश का 80 फीसदी से ज्यादा हिस्सा स्वच्छ ऊर्जा के ऊपर किया गया है.
स्वच्छ ऊर्जा के लिए सबसे ज्यादा फंड
रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि भारत साल 2024 में स्वच्छ ऊर्जा के लिए विकास वित्त संस्थान (Development Finance Institution) से मिलने वाली रकम का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता था. भारत को 2.4 अरब डॉलर स्वच्छ ऊर्ज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मिले. बिजली क्षेत्र की अगर बात करें तो इस सेक्टर में भी देश के अंदर तेजी के साथ प्रत्यक्ष विदेश निवेश बढ़ रहा है. दो साल यानी 2023 में ये करीब 5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.