PM Advisor Sanjeev Sanyal: एलन मस्क के नेतृत्व वाले अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने हाल ही में विभिन्न देशों के लिए फंडिंग रोकने की घोषणा की, जिसमें भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी शामिल थी. इस घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल और बीजेपी ने इस फंडिंग के दावे पर सवाल उठाए हैं.
संजीव सान्याल ने इस मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें यह जानने की उत्सुकता है कि भारत में मतदान बढ़ाने के नाम पर 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की यह राशि आखिर किसे मिली.
संजीव सान्याल का सवाल
CNN-News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने पूछा कि कोई अमेरिकी या विदेशी एजेंसी भारत की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप करने की कोशिश क्यों कर रही है. इससे उन्हें क्या फायदा होगा? मैं कई सालों से देख रहा हूं कि भारत में कौन-कौन काम कर रहा है और इसे प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. यदि इन एजेंसियों की गहराई से जांच करें, तो पता चलेगा कि सभी को एक ही समूह की ओर से फंडिंग किया जाता है, जो एक विशेष एजेंडा चला रहा है. यह कोई नई बात नहीं है. मैं इस तरह की गतिविधियों का लंबे समय से विरोध कर रहा हूं और इस पर लेख लिख चुका हूं. USAID भी इसी रणनीति का हिस्सा है.
USAID पर संजीव सान्याल का बड़ा आरोप
संजीव सान्याल ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) को इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया. उन्होंने एक्स पर कहा, “यह जानना दिलचस्प होगा कि भारत में मतदाता मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर और बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता के लिए 29 मिलियन अमेरिकी डॉलर आखिर किसे दिए गए? इसके अलावा, नेपाल में राजकोषीय संघवाद को सुधारने के लिए 29 मिलियन डॉलर की फंडिंग का जिक्र तक नहीं किया गया. USAID दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला है.”
DOGE की घोषणा और विवाद
DOGE ने रविवार (16 फरवरी, 2025 ) को विभिन्न देशों के लिए जारी फंडिंग को रोकने की घोषणा की, जिससे संघीय खर्च कम किया जा सके. एक्स पर पोस्ट करते हुए, DOGE ने कहा, “अमेरिकी करदाताओं का पैसा निम्नलिखित मदों पर खर्च होने वाला था, जिसे अब रद्द किया गया है. इसमें चुनाव और राजनीतिक प्रक्रिया सुदृढ़ीकरण के लिए संघ” को दी जाने वाली 486 मिलियन डॉलर की राशि भी शामिल थी. इसके तहत, मोल्दोवा के लिए 22 मिलियन डॉलर, भारत में मतदाता मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर, DOGE अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि भारत और बांग्लादेश को दी जाने वाली ये धनराशि अब रोक दी गई है.
पूर्व चुनाव आयुक्त ने अमेरिकी फंडिंग के दावे को किया खारिज
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इस दावे को खारिज कर दिया कि जब वे चुनाव आयोग (ECI) के प्रमुख थे, तब भारत में मतदाता मतदान बढ़ाने के लिए कोई अमेरिकी धनराशि इस्तेमाल की गई थी.
उन्होंने कहा, “2012 में जब मैं मुख्य चुनाव आयुक्त था, तब भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी एजेंसी की ओर से कोई फंडिंग नहीं किया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स में किए गए दावे गलत हैं. चुनाव आयोग का इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (IFES) के साथ एक समझौता था, लेकिन उसमें किसी प्रकार की वित्तीय सहायता का कोई जिक्र नहीं था.”
भाजपा ने लगाया चुनाव प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप का आरोप
DOGE की ओर से फंडिंग रोकने की घोषणा के तुरंत बाद, भाजपा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे भारत की चुनाव प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप बताया. भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा, “भारत में मतदाता मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर? यह स्पष्ट रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप है. इससे किसे लाभ होगा? निश्चित रूप से सत्तारूढ़ पार्टी को नहीं.”
DOGE और USAID पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
DOGE अमेरिकी प्रशासन के खर्च को कम करने के लिए USAID के कार्यक्रमों को लगातार बंद कर रहा है. USAID अमेरिकी सरकार की सबसे बड़ी मानवीय सहायता एजेंसी है और इसे ट्रम्प प्रशासन द्वारा बार-बार कई अनियमितताओं के लिए निशाना बनाया गया है. यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की थी. हालांकि, इस मुद्दे पर दोनों देशों के संयुक्त बयान में कोई चर्चा नहीं हुई.