भारत ने बना लिया 500 किलो का ‘महाबम’, रडार, रनवे, बंकर सबको कर देगा धुआं-धुआं

भारत ने बना लिया 500 किलो का ‘महाबम’, रडार, रनवे, बंकर सबको कर देगा धुआं-धुआं


भारत ने अपने डिफेंस सिस्टम को पहले से और मजबूत करते हुए एक और स्वदेशी घातक हथियार तैयार कर लिया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की तरफ से विकसित 500 किलो का प्री-फ्रैगमेंटेड बम अब भारतीय वायुसेना की ताकत में जबरदस्त बढ़त देने जा रहा है.

500 किलो का प्री-फ्रैगमेंटेड बम हाई-एक्सप्लोसिव जनरल पर्पज बम कैटिगरी में आता है, जिसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह सीमित क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा से तबाही विनाश कर सके. यह बम केवल वजन या धमाके से नहीं, बल्कि स्मार्ट डिजाइन और प्रभावी टारगेट को भेदने में पूरी तरह से सक्षम थे.

प्री-फ्रैगमेंटेड बम की खासियत
प्री-फ्रैगमेंटेड बम की खासियत की खासियत इस प्रकार है

  • प्री-फ्रैगमेंटेड डिजाइन: बम के अंदर पहले से ही हजारों की संख्या में स्टील या टंगस्टन के टुकड़े भरे गए हैं. विस्फोट के समय ये टुकड़े 360 डिग्री में फैलकर आसपास की हर चीज को छलनी कर देते हैं, जिससे ज्यादा मानवीय और भौतिक नुकसान होता है.
  • सटीकता से फिट: इस बम को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह भारतीय फाइटर जेट्स जैसे सुखोई-30 MKI, मिराज-2000 और तेजस के हथियार ढांचे में बिना किसी बदलाव के आसानी से फिट हो सके.
  • लो-कॉस्ट, हाई इम्पैक्ट: यह बम न केवल प्रभावशाली है, बल्कि विदेशी हथियारों की तुलना में सस्ता भी है, जिससे रक्षा बजट पर भी नियंत्रण बना रहेगा.
  • बड़े क्षेत्र में क्षति: इस बम से केवल बंकर या सैनिक ही नहीं, बल्कि रडार स्टेशन, रनवे, हथियार डिपो और फॉरवर्ड ऑपरेशनल बेस भी तबाह किए जा सकते हैं.

क्यों बनाया गया यह बम?
भारत की सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए एक ऐसा हथियार विकसित करना जरूरी हो गया था, जो दुश्मन के छिपे हुए आतंकी कैंप्स और टेरर लॉन्च पैड्स को खत्म कर सके. एलओसी (LoC) और एलएसी (LAC) पर छिपे हुए बंकरों को नष्ट कर सके. सीमित दायरे में ज्यादा प्रभाव डाले और सैन्य ऑपरेशन को गति दे. इस बम का एयर-ड्रॉप वर्जन इसे बेहद प्रभावी बनाता है, खासकर जब सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक जैसे मिशन की बात आती है.

DRDO की स्वदेशी सफलता
DRDO इस हथियार को लेकर गौरवान्वित है क्योंकि यह पूरी तरह से भारतीय वैज्ञानिकों की तरफ से डिजाइन और टेस्ट किया गया है. भारत अब इस श्रेणी में किसी विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं. आने वाले समय में यह बम भारतीय वायुसेना के लिए “गेम चेंजर” साबित होगा. इसके निर्माण में लोकल डिफेंस इंडस्ट्री को भी जोड़कर भारत ने अपने रक्षा उत्पादन तंत्र को और मजबूत किया है, जो मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करता है.

ये भी पढ़ें: अमेरिका-EU के बीच फाइनल हुई ट्रेड डील, डोनाल्ड ट्रंप ने 15 प्रतिशत टैरिफ की कर दी घोषणा



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *