Smartphone Exporter: भारत अब अमेरिका को स्मार्टफोन भेजने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है. टेक रिसर्च फर्म Canalys की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने इस मामले में पहली बार चीन को पीछे छोड़ दिया है. इसका सबसे बड़ा श्रेय जाता है Apple की उस रणनीति को जिसके तहत उसने चीन से बाहर उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया था जिसे ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति कहा जा रहा है.
भारत में Apple ने बढ़ाई iPhone की मैन्युफैक्चरिंग
पिछले कुछ वर्षों में Apple ने भारत में अपने iPhone उत्पादन को काफी तेज़ी से बढ़ाया है. साल 2025 में, भारत में बने iPhones का एक बड़ा हिस्सा सीधे अमेरिका भेजा गया. रिपोर्ट में बताया गया है कि Apple ने इस साल 1.5 मिलियन यानी करीब 15 लाख iPhones को चार्टर्ड कार्गो विमानों के ज़रिए भारत से अमेरिका तक पहुंचाया.
‘मेक इन इंडिया’ को मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता
भारत की यह उपलब्धि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए एक बड़ा मील का पत्थर मानी जा रही है. केंद्र सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम और राज्यों के साथ मिलकर की गई साझेदारियों के कारण भारत अब ग्लोबल टेक कंपनियों के लिए चीन का व्यवहारिक विकल्प बनता जा रहा है. Apple के बाद अब Samsung और Motorola भी भारत में अपने अमेरिकी ऑर्डर्स का उत्पादन शुरू कर रहे हैं हालांकि वो अभी Apple की तुलना में छोटे पैमाने पर है.
व्यापारिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता बनी चिंता
इस बदलाव के पीछे एक और बड़ा कारण अमेरिका की व्यापारिक नीतियों में आई अस्थिरता है. अप्रैल 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले आयात पर 26% टैरिफ लागू कर दिया था जिसे फिलहाल 1 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है. इसी अस्थिरता के चलते कंपनियां चीन से बाहर उत्पादन तेज़ी से शिफ्ट कर रही हैं.
बिक्री में गिरावट लेकिन रणनीति सही
हालांकि iPhone की अमेरिका में शिपमेंट इस साल की दूसरी तिमाही में 11% कम होकर 13.3 मिलियन यूनिट्स रह गई लेकिन Apple की लॉन्ग टर्म रणनीति अब भी मजबूत मानी जा रही है. वैश्विक स्तर पर भी iPhone की शिपमेंट में 2% की गिरावट दर्ज की गई है. Canalys का कहना है कि यह गिरावट यूजर्स की सुस्त मांग के कारण हुई है जबकि कंपनियां संभावित टैरिफ नीति के बदलाव को लेकर पहले से स्टॉक जमा कर रही हैं.
भारत की मैन्युफैक्चरिंग के लिए आगे क्या?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तो बस शुरुआत है. भारत के लिए स्मार्टफोन निर्यात में यह उछाल बड़े ब्रांड्स की रणनीति का हिस्सा है लेकिन छोटे और मध्यम निर्माताओं को भी अब बाज़ार में टिकने के लिए अपनी रणनीतियों को और मजबूत करना होगा.
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