मदद लेकर गाज़ा जा रही थी नाव, इजरायल ने बीच समंदर में किया जब्त, ग्रेटा थनबर्ग को हिरासत में लि

मदद लेकर गाज़ा जा रही थी नाव, इजरायल ने बीच समंदर में किया जब्त, ग्रेटा थनबर्ग को हिरासत में लि


Greta Thunberg detained: गाज़ा के लिए रवाना हुई एक सहायता नाव को इजरायली सेना ने सोमवार तड़के समुद्र में रोक लिया. इस नाव में स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और फ्रांस की यूरोपीय संसद सदस्य रीमा हसन समेत 12 अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता सवार थे.

यह नाव ‘मेडलीन’ (Madleen) ब्रिटेन के झंडे के तहत चल रही थी और इसे फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन नाम के संगठन ने गाज़ा में मानवीय मदद पहुंचाने के लिए भेजा था. नाव ने 6 जून को इटली के सिसिली से यात्रा शुरू की थी और सोमवार को गाज़ा पहुंचने वाली थी. लेकिन इजरायली सेना ने इसे अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में सुबह करीब 2 बजे रोककर सभी लोगों को हिरासत में ले लिया.

इजरायल ने मिशन को बताया मीडिया प्रचार
फ्रांसीसी सांसद रीमा हसन ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि सभी 12 लोगों को इजरायली सेना ने गिरफ्तार कर लिया है. इजरायल ने इस मिशन को “मीडिया प्रचार” बताया है. इजरायली विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह सिर्फ “सेल्फी यॉट” थी और जो मदद लाई जा रही थी, वह बहुत ही सीमित थी, जैसे चावल और बच्चों के लिए दूध पाउडर. मंत्रालय ने दावा किया कि इसमें लाई गई मदद का एक हिस्सा तो कार्यकर्ताओं ने खुद ही खा लिया और बाकी को इजरायल अब अपने माध्यम से गाज़ा भेजेगा.

फ्रीडम फ्लोटिला संगठन ने क्या कहा?
फ्रीडम फ्लोटिला संगठन का कहना है कि वह गाज़ा में चल रहे मानवीय संकट की ओर दुनिया का ध्यान खींचना चाहता है. गाज़ा पर इजरायल ने कई सालों से नौसैनिक नाकाबंदी लगा रखी है, जिसे यह संगठन “सामूहिक सजा” मानता है. हालांकि इजरायल का कहना है कि वह पिछले दो हफ्तों में 1200 से ज्यादा ट्रकों के जरिए गाज़ा में मदद भेज चुका है और करीब 1.1 करोड़ भोजन वहां बांटे जा चुके हैं.

पिछले महीने मदद वाली नाव पर ड्रोन से हुआ था हमला
इससे पहले भी पिछले महीने इस संगठन ने समुद्र के रास्ते मदद भेजने की कोशिश की थी, लेकिन तब उनकी एक नाव पर ड्रोन हमला हुआ था, जिसमें नाव को नुकसान पहुंचा था. संगठन ने उस हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था.

गौरतलब है कि 2007 से हमास के गाज़ा पर नियंत्रण के बाद से इजरायल और मिस्र ने वहां पर सख्त नाकाबंदी लगा रखी है. आलोचकों का कहना है कि इससे वहां के करीब 20 लाख लोगों की ज़िंदगी पर बुरा असर पड़ा है और यह किसी सजा से कम नहीं है.



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